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आगम सूत्र ५, अंगसूत्र-५, 'भगवती/व्याख्याप्रज्ञप्ति-2'
शतक/वर्ग/उद्देशक/ सूत्रांक परमाणु-पुद्गल और दूसरी ओर भी एक परमाणु-पुद्गल हो जाता है । भगवन् ! जब तीन परमाणु एक रूप में इकट्ठे होते हैं, तब उनका क्या होता है ? गौतम ! त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है । भेदन होने पर दो या तीन विभाग होते हैं । दो विभाग हों तो एक ओर एक परमाणु-पुद्गल और दूसरी ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध हो जाता है । उसके तीन विभाग हों तो तीन परमाणु-पुद्गल पृथक्-पृथक् हो जाते हैं । भगवन् ! चार परमाणु-पुद्गल इकट्ठे होते हैं, तब उनका क्या होता है ? गौतम ! उनका चतुष्पदेशिक स्कन्ध बन जाता है । उनका भेदन होने पर दो, तीन अथवा चार विभाग होते हैं । दो विभाग होने पर एक ओर (एक) परमाणु-पुद्गल और दूसरी ओर त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है, अथवा पृथक्-पृथक् दो द्विप्रदेशिक स्कन्ध हो जाते हैं। तीन विभाग होने पर ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु-पुद्गल और एक ओर द्विप्रदेशिक स्कन्त रहता है । चार विभाग होने पर चार परमाणु-पुद्गल पृथक्-पृथक् होते हैं।
भगवन ! पाँच परमाण-पदगल एकत्र संहत होने पर क्या स्थिति होती है ? पचप्रदेशिक स्कन्ध बनता है। भेदन होने पर दो, तीन, चार अथवा पाँच विभाग होते हैं । यदि दो विभाग किये जाएं तो एक ओर एक परमाणुपुद्गल और दूसरी ओर एक चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध हो जाता है । अथवा एक ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध और दूसरी ओर त्रिप्रदेशिक स्कन्ध हो जाता है । तीन विभाग किये जाने पर एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु-पुद्गल और एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध रहता है; अथवा एक ओर एक परमाणु-पुद्गल दूसरी ओर पृथक्-पृथक् दो द्विप्रदेशिक-स्कन्ध रहते हैं । चार विभाग किये जान पर एक ओर पृथक्-पृथक् तीन परमाणु-पुद्गल और दूसरी ओर एक द्विप्रदेशिक-स्कन्ध रहता है । पाँच विभाग किये जाने पर पृथक्-पृथक् पाँच परमाणु होते हैं । भगवन् ! छह परमाणु-पुद्गल जब संयुक्त होकर इकट्ठे होते हैं, तब क्या बनता है ? षट्प्रदेशिक स्कन्ध बनता है । भेदन होने पर दो, तीन, चार, पाँच अथवा छह विभाग होते हैं । दो विभाग किये जाने पर एक ओर एक परमाणु-पुद्गल और पंचप्रदेशिक स्कन्ध होता है; अथवा एक ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध और एक ओर चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध रहता है । अथवा दो त्रिप्रदेशी स्कन्ध होते हैं । तीन विभाग से एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु-पुद्गल और एक ओर चतु-ष्प्रदेशिक स्कन्ध रहता है । अथवा एक ओर एक परमाणु-पुद्गल एक ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध और एक ओर त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है, अथवा तीन पृथक्-पृथक् द्विप्रदेशिक होते हैं । चार विभाग से एक ओर तीन पृथक परमाणु-पुद्गल एक ओर त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है । अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु पुद्गल, एक ओर पृथक्-पृथक् दो द्विप्रदेशी स्कन्ध होते हैं; पाँच विभाग किये जाने पर एक ओर पृथक्-पृथक् चार परमाणु-पुद्गल और एक ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध होता है; और छह विभाग किये जाने पर पृथक्-पृथक् छह परमाणु-पुद्गल होते है।
__भगवन् ! जब सात परमाणु-पुद्गल संयुक्त रूप से इकट्ठे होते हैं, तब क्या होता है ? गौतम ! सप्त-प्रदेशिक स्कन्ध होता है। भेदन किये जाने पर दो, तीन यावत् सात विभाग भी हो जाते हैं। यदि दो विभाग किये जाएं तो-एक
ओर एक परमाणु-पुद्गल और दूसरी ओर षट्प्रदेशिक स्कन्ध होता है । अथवा एक ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध होता है, एक ओर पंचप्रदेशिक स्कन्ध होता है अथवा एक ओर त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है और दूसरी ओर चतुःप्रदेशी स्कन्ध होता है । तीन विभाग से-एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु-पुद्गल और दूसरी ओर पंच-प्रदेशिक स्कन्ध होता है। अथवा एक ओर एक परमाणु-पुद्गल, एक ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध और एक ओर चतु-ष्प्रदेशिक स्कन्ध होता है । अथवा एक ओर एक परमाणु पुद्गल, एक ओर पृथक्-पृथक् दो त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं । अथवा एक ओर पृथक्पथक दो द्विप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं और दूसरी ओर एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है। चार विभाग से एक ओर पृथक्पृथक् तीन परमाणु-पुद्गल, एक ओर चतुःप्रदेशी स्कन्ध होता है । अथवा एक ओर दो परमाणु-पुद्गल पृथक्-पृथक्, एक ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध तथा एक ओर त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है । अथवा एक ओर एक परमाणु पुद्गल और दूसरी ओर तीन द्विप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं । पाँच विभाग से एक ओर पृथक्-पृथक् चार परमाणु-पुद्गल और एक
ओर त्रिप्रदेशिक स्कन्ध रहता है । अथवा एक ओर तीन पृथक्-पृथक् परमाणु-पुद्गल और एक ओर पृथक्-पृथक् दो द्विप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं । छह विभाग से एक ओर पृथक्-पृथक् पाँच परमाणु-पुद्गल और दूसरी ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध होता है । सात विभाग किये जाने पर पृथक्-पृथक् सात परमाणु-पुद्गल होते हैं।
मुनि दीपरत्नसागर कृत् "(भगवती-२) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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