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आगम सूत्र ५, अंगसूत्र-५, 'भगवती/व्याख्याप्रज्ञप्ति-1' शतक/शतकशतक/उद्देशक/ सूत्रांक
भगवन् ! एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक-प्रवेशनक से लेकर यावत् पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक-प्रवेशनक तक में से कौन किससे अल्प-अल्प विशेषाधिक है ? गांगेय ! सबसे अल्प पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक-प्रवेशनक है, उनसे चतुरिन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक-प्रवेशनक विशेषाधिक है, उनसे त्रीन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक-प्रवेशनक विशेषाधिक है, उनसे द्वीन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक-प्रवेशनक विशेषीधक है और उनसे एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक-प्रवेशनक विशेषाधिक है। सूत्र-४५५ भगवन् ! मनुष्यप्रवेशनक कितने प्रकार का कहा गया है ? गांगेय ! दो प्रकार का है, सम्मूर्छिममनुष्य
प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हुए क्या सम्मूर्छिम मनष्यो में उत्पन्न होते है ? इत्यादि (पर्ववत) प्रश्न । गांगेय! दो मनुष्य या तो सम्मूर्छिममनुष्य में उत्पन्न होते है, अथवा गर्भजमनुष्यो में होते है । अथवा एक सम्मर्छिममनुष्यो में और एक गर्भज मनुष्यों में होता है । इस क्रम से जिस प्रकार नैरयिक-प्रवेशनक कहा, उसी प्रकार मनुष्य-प्रवेशनक भी यावत् दस मनुष्यों तक कहना चाहिए।
भगवन् ! संख्यात मनुष्य, मनुष्य-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हुए सम्मूर्छिममनुष्यों में होते है ? इत्यादि प्रश्न गांगेय ! वे सम्मूर्छिममनुष्य में होते है, अथवा गर्भजमनुष्यों में होते है । अथवा एक सम्मूर्छिममनुष्यो में होता है और संख्यात गर्भजमनुष्यों में । अथवा दो सम्मूर्छिममनुष्यो में होते है और संख्यात गर्भजमनुष्यों में होते है । इस प्रकार उत्तरोत्तर एक-एक बढ़ाते हुए यावत् संख्यात सम्मूर्छिममनुष्यो में और संख्यात गर्भजमनुष्यों में होते है । भगवन् ! असंख्यात मनुष्य, मनुष्यप्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हुए, इत्यादि प्रश्न । गांगेय! वे सभी सम्मूर्छिममनुष्यो में होते है। अथवा असंख्यात सम्मूर्छिममनुष्यों में होते है और एक गर्भजमनुष्यों में होता है । अथवा असंख्यात सम्मूर्छिममनुष्यों मे होते है और दो गर्भजमनुष्यों में होते है । अथवा इसी प्रकार यावत् असंख्यात सम्मूर्छिममनुष्यो में होते है और संख्यात गर्भजमनुष्यो में होते है।
__ भगवन् ! मनुष्य उत्कृष्टरूप से किस प्रवेशनक में होते है ? इत्यादि प्रश्न । गांगेय ! वे सभी सम्मूर्छिममनुष्यों में अथवा सम्मूर्च्छिममनुष्यों मे और गर्भज मनुष्यों में होते है।
भगवन् ! सम्मूर्छिममनुष्य-प्रवेशनक और गर्भजमनुष्यप्रवेशनक, इन से कौन किस से अल्प, यावत् विशेषाधिक है ? गांगेय ! सबसे थोड़े गर्भमनुष्य-प्रवेशनक है, उनसे सम्मूर्छिममनुष्य-प्रवेशनक असंख्यातगुण है। सूत्र -४५६
भगवन् ! देव-प्रवेशनक कितने प्रकार का है ? गांगेय ! चार प्रकार का- भावनवासीदेव-प्रवेशनक, वाणव्यन्तरदेव-प्रवेशनक, ज्योतिष्कदेव-प्रवेशनक और वैमानिकदेव-प्रवेशनक । भगवन् ! एक देव, देव-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करता हुआ क्या भवनवासी देवों में, वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क अथवा वैमानिक देवों में होता है ? गांगेय ! एक देव, देव-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करता हुआ भवनवासी, या वणव्यन्तर या ज्योतिष्क या वैमानिक देवों में होता है। भगवन् ! दो देव, देव-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हुए क्या भवनवासी देवो में, इत्यादि प्रश्न । गांगेय ! वे भवनवासी देवो में, अथवा वाणव्यन्तर देवों में, या ज्योतिष्क देवों में होते है, या वैमानिक देवों मे होते है । अथवा एक भवनवासी देवों मे होता है, और एक वाणव्यन्तर देवो में होता है। और एक वाणव्यन्तर देवों में होता है। तिर्यञ्चोनिक-प्रवेशनक समान देव-प्रवेशनक भी असंख्यात देव-प्रवेशनक तक कहना चाहिए।
भगवन् ! उत्कृष्टरूप से देव, देव-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हुए किन देवो मे होते है ? इत्यादि प्रश्न । गांगेय! वे सभी ज्योतिष्क देवों मे होते है । अथवा ज्योतिष्क और भवनवासी देवों में, अथवा ज्योतिष्क और वाण्व्यन्तर देवो में, अथवा ज्योतिष्क और वैमानिक देवो में | अथवा ज्योतिष्क, भवनवासी और वाणव्यन्तर देवो में, अथवा ज्योतिष्क, भवनवासी और वैमानिक देवो में, अगवा ज्योतिष्क, वाणव्यन्तर और वैमानिक देवो में । अथवा ज्योतिष्क, भवनवासी, वाणव्यन्तर और वैमानिक देवों मे होते है। सूत्र-४५७
भगवन् ! भवनवासी, वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिकदेव-प्रवेशनक, इन चारों से कौन प्रवेशनक किस
मुनि दीपरत्नसागर कृत् "(भगवती) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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