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आगम सूत्र ५, अंगसूत्र-५, 'भगवती/व्याख्याप्रज्ञप्ति-1'
शतक/ शतकशतक /उद्देशक/ सूत्रांक जिस समय चर्यापरीषह का वेदन करता है, उस समय निषद्यापरीषह का वेदन नहीं करता और जिस समय निषद्यापरीषह का वेदन करता है, उस समय चर्यापरीषह का वेदन नहीं करता । भगवन् ! आठ प्रकार के कर्म बाँधने वाले जीव के कितने परीषह हैं ? गौतम ! बाईस । सप्तविधबन्धक के अनुसार अष्टविधबन्धक में भी कहना।
भगवन् ! छह प्रकार के कर्म बाँधने वाले सराग छद्मस्थ जीव के कितने परीषह कहे गए हैं ? गौतम ! चौदह । किन्तु वह एक साथ बारह परीषह वेदता है । जिस समय शीतपरीषह वेदता है, उस समय उष्णपरीषह का वेदन नहीं करता और जिस समय उष्णपरीषह का वेदन करता है, उस समय शीतपरीषह का वेदन नहीं करता । जिस समय चर्यापरीषह का वेदन करता है, उस समय शय्यापरीषह का वेदन नहीं करता और जिस समय शय्या-परीषह का वेदन करता है, उस समय चर्यापरीषह का वेदन नहीं करता । भगवन् ! एकविधबन्धक वीतराग-छद्मस्थ जीव के कितने परीषह हैं ? गौतम ! षड्विधबन्धक के समान इसके भी चौदह परीषह हैं, किन्तु वह एक साथ बारह परीषहों का वेदन करता है। भगवन् ! एकविधबन्धक सयोगीभवस्थकेवली के कितने परीषह हैं ? गौतम ! ग्यारह । किन्तु वह एक साथ भी नौ परीषहों का वेदन करता है। शेष षड्वधबन्धक के समान ।
____ भगवन् ! अबन्धक अयोगीभवस्थकेवली के कितने परीषह हैं ? गौतम ! ग्यारह । किन्तु वह एक साथ नौ परीषहों का वेदन करता है। क्योंकि शीत और उष्णपरीषह का तथा चर्या और शय्यापरीषह का वेदन एक साथ नहीं करता है। सूत्र -४२१
भगवन् ! जम्बूद्वीप में क्या दो सूर्य, उदय और अस्त के मुहूर्त में दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं, मध्याह्न के मुहूर्तमें निकट में होते हुए दूर दिखाई देते हैं? हाँ, गौतम ! जम्बूद्वीपमें दो सूर्य, उदय के समय दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं, इत्यादि । भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य, उदय के समय में, मध्याह्न के समय में और अस्त होने के समय में क्या सभी स्थानों पर ऊंचाई में सम हैं? हाँ, गौतम ! जम्बूद्वीप में रहे हुए दो
भगवन् ! यदि जम्बूद्वीप में दो सूर्य उदय के समय, मध्याह्न के समय और अस्त के समय सभी स्थानों पर ऊंचाई में समान हैं तो ऐसा क्यों कहते हैं कि जम्बूद्वीप में दो सूर्य उदय के समय दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं, इत्यादि ? गौतम ! लेश्या के प्रतिघात से सूर्य उदय और अस्त के समय, दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं, मध्याह्न में लेश्या के अभिताप से पास होते हुए भी दूर दिखाई देते हैं और इस कारण हे गौतम ! मैं कहता हूँ कि दो सूर्य उदय के समय दूर होते हुए भी पास में दिखाई देते हैं, इत्यादि।
भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य, क्या अतीत क्षेत्र की ओर जाते हैं, वर्तमान क्षेत्र की ओर जाते हैं, अथवा अनागत क्षेत्र की ओर जाते हैं ? गौतम ! वे अतीत और अनागत क्षेत्र की ओर नहीं जाते, वर्तमान क्षेत्र की ओर जाते हैं। भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य, क्या अतीत क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, वर्तमान क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं या अनागत क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं ? गौतम ! वे अतीत और अनागत क्षेत्र को प्रकाशित नहीं करते, वर्तमान क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं।
भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य स्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, अथवा अस्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं ? गौतम ! वे स्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, अस्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित नहीं करते; यावत् नियमतः छहों दिशाओं को प्रकाशित करते हैं । भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य क्या अतीत क्षेत्र को उद्योतित करते हैं ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! इस विषय में पूर्वोक्त प्रकार से जानना चाहिए; यावत् नियमतः छह दिशाओं को उद्योतित करते हैं । इसी प्रकार तपाते हैं; यावत् छह दिशा को नियमतः प्रकाशित करते हैं।
____ भगवन् ! जम्बूद्वीप में सूर्यों की क्रिया क्या अतीत क्षेत्र में की जाती है ? वर्तमान क्षेत्र में ही की जाती है अथवा अनागत क्षेत्र में की जाती है ? गौतम ! अतीत और अनागत क्षेत्र में क्रिया नहीं की जाती, वर्तमान क्षेत्र में क्रिया की जाती है । भगवन् ! वे सूर्य स्पृष्ट क्रिया करते हैं या अस्पृष्ट ? गौतम ! वे स्पृष्ट क्रिया करते हैं, अस्पृष्ट क्रिया नहीं करते; यावत् नियमतः छहों दिशाओं में स्पृष्ट क्रिया करते हैं।
मुनि दीपरत्नसागर कृत् "(भगवती) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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