SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 67
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम सूत्र ३, अंगसूत्र-३, 'स्थान' स्थान/उद्देश/सूत्रांक सूत्र-३४० पुरुष वर्ग चार प्रकार का है । यथा-एक पुरुष उच्च है (लौकिक वैभव से श्रेष्ठ है) और उच्छंद है (श्रेष्ठ अभिप्राय वाला है), एक पुरुष उच्च है किन्तु नीच छंद है (नीच अभिप्राय वाला है), एक पुरुष नीच है (वैभवहीन है। किन्तु उच्चछंद है, एक पुरुष नीच है और नीच छंद है (नीच अभिप्राय वाला) है। सूत्र-३४१ असुरकुमारों की चार लेश्या हैं । कृष्णलेश्या, नील लेश्या, कापोत लेश्या और तेजोलेश्या । इसी प्रकार शेष भवनवासी देवों की, पृथ्वीकाय, अप्काय, वनस्पतिकाय और वाणव्यन्तरों की चार लेश्याएं हैं। सूत्र - ३४२ यान चार प्रकार के हैं । एक यान युक्त है (वृषभ आदि से युक्त है) और युक्त है (सामग्री से भी युक्त है), एक यान युक्त है (वृषभ आदि से युक्त है) किन्तु अयुक्त है (सामग्री रहित है), एक यान अयुक्त है (वृषभ आदि से रहित है। किन्तु युक्त है (सामग्री से युक्त है), एक यान अयुक्त (वृषभ आदि से रहित है) और अयुक्त है (सामग्री से भी रहित है)। इसी प्रकार पुरुष वर्ग चार प्रकार का है । यथा-एक पुरुष युक्त है (धनादि से युक्त है) और युक्त है (उचित अनुष्ठान से भी युक्त है), एक पुरुष युक्त है (धनादि से युक्त है) किन्तु अयुक्त है (उचित अनुष्ठान से अयुक्त है), एक पुरुष अयुक्त है (धनादि से अयुक्त है) किन्तु युक्त है (उचित अनुष्ठान से युक्त है), एक पुरुष अयुक्त है (धनादि से रहित है) और अयुक्त है (उचित अनुष्ठान से भी रहित है)। यान चार प्रकार के हैं । यथा-एक यान युक्त है (वृषभ आदि से युक्त है) और युक्त परिणत है (चलने के लिए तैयार है), एक यान युक्त है किन्तु अयुक्त परिणत है (चलने योग्य नहीं है), एक यान अयुक्त है (वृषभ आदि से रहित है) किन्तु युक्त है, एक यान अयुक्त है और अयुक्त परिणत है। इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं । यथा-एक पुरुष युक्त है (धनधान्य से परिपूर्ण है) और युक्त परिणत है (उचित प्रवृत्ति वाला है) शेष तीन भांगे पूर्वोक्त क्रम से कहे। यान चार प्रकार के हैं । यथा-एक यान युक्त है (वृषभ आदि से युक्त है) और युक्त रूप है (सुन्दरकार है) । शेष तीन भांगे पूर्वोक्त क्रम से कहे । इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार का है । यथा-एक पुरुष युक्त है और युक्त रूप है। शेष पूर्ववत् जाने। यान चार प्रकार के हैं । एक यान युक्त है (वृषभ आदि से युक्त है) और शोभा युक्त है। शेष तीन भांगे पूर्वोक्त क्रम से कहे । इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं । एक पुरुष युक्त है (धन से युक्त है) और शोभा युक्त है। शेष तीन भांगे पूर्वोक्त कहे। वाहन चार प्रकार के हैं । यथा-एक वाहन बैठने की सामग्री (मंच आदि) से युक्त है और वेग युक्त है । एक वाहन बैठने की सामग्री (मंच आदि) से युक्त है किन्तु वेग युक्त नहीं है । एक वाहन बैठने की सामग्री युक्त नहीं है किन्तु वेग युक्त है । एक वाहन बैठने की सामग्री युक्त भी नहीं है और वेग युक्त भी नहीं है। इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं यथा-एक पुरुष धनधान्य सम्पन्न है और उत्साही है । एक पुरुष धनधान्य सम्पन्न है किन्तु उत्साही नहीं है । एक पुरुष उत्साही है किन्तु धन धान्य सम्पन्न नहीं है । एक पुरुष धनधान्य सम्पन्न भी नहीं है और उत्साही भी नहीं है । यान के चार सूत्रों के समान युग्म के चार सूत्र भी कहें और पुरुष सूत्र भी पूर्ववत् कहे। सारथी चार प्रकार के हैं । यथा-एक सारथी रथ के अश्व जोतता है किन्तु खोलता नहीं है । एक सारथी रथ के अश्व खोलता है किन्तु जोतता नहीं है । एक सारथी रथ में अश्व जोतता भी है और खोलता भी है । एक सारथी रथ में अश्व जोतता भी नहीं है और खोलता भी नहीं है । इसी प्रकार पुरुष (श्रमण) चार प्रकार के हैं । यथा-एक श्रमण (किसी व्यक्ति को) संयम साधना में लगाता है किन्तु अतिचारों से मुक्त नहीं करता । एक श्रमण संयमी को अतिचारों से मुक्त करता है किन्तु संयम साधना में नहीं लगाता । एक श्रमण संयम साधना में भी लगाता है और अतिचारों से मुक्त भी करता है। एक श्रमण संयम साधना में भी नहीं लगाता और अतिचारों से भी मुक्त नहीं करता मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (स्थान)- आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 67
SR No.034669
Book TitleAgam 03 Sthanang Sutra Hindi Anuwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDipratnasagar, Deepratnasagar
Publication Year2019
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 03, & agam_sthanang
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy