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________________ आगम सूत्र ३, अंगसूत्र-३, 'स्थान' स्थान/उद्देश/सूत्रांक पुरुष वर्ग चार प्रकार का है । वह इस प्रकार है-एक पुरुष स्वयं चिंता करता है, किन्तु दूसरे को चिन्ता नहीं होने देता, एक पुरुष दूसरे को चिंतित करता है, किन्तु स्वयं चिन्ता नहीं करता । एक पुरुष स्वयं भी चिन्ता करता है और दूसरे को भी चिंतित करता है । एक पुरुष न स्वयं चिन्ता करता है और न दूसरे को चिंतित करता है। पुरुष वर्ग चार प्रकार का है । वह इस प्रकार है-एक पुरुष आत्मदमन करता है, किन्तु दूसरे का दमन नहीं करता । एक पुरुष दूसरे का दमन करता है किन्तु आत्मदमन नहीं करता । एक पुरुष आत्मदमन भी करता है और परदमन भी करता है। एक पुरुष न आत्मदमन करता है और न परदमन करता है। सूत्र-३०७ गर्दा चार प्रकार की है, यथा-स्वकृत दोष की शुद्धि के लिए उचित प्रायश्चित्त लेने हेतु मैं स्वयं गुरु महाराज के समीप जाऊं यह एक गर्दा है । गर्हणीय दोषों का मैं निराकरण करूँ यह दूसरी गर्दा है । मैंने जो अनुचित किया है उसका मैं स्वयं मिथ्या दुष्कृत करूँ यह तीसरी गर्हा है । स्वकृत दोषों की गर्दा करने से आत्म-शुद्धि होती है, यह जिन भगवान ने कहा है-इस प्रकार स्वीकार करना, यह चौथी गर्दा है। सूत्र-३०८ पुरुष वर्ग चार प्रकार का है । एक पुरुष अपने आपको दुष्प्रवृत्तियों से बचाता है किन्तु दूसरे को नहीं बचाता। एक पुरुष दूसरों को दुष्प्रवृत्तियों से बचाता है, किन्तु स्वयं नहीं बचता । एक पुरुष स्वयं भी दुष्प्रवृत्तियों से बचता है और दूसरे को भी बचाता है। एक पुरुष न स्वयं दुष्प्रवृत्तियों से बचता है और न दूसरे को बचाता है। मार्ग चार प्रकार का है । एक मार्ग प्रारम्भ में भी सरल है और अन्त में भी सरल है । एक मार्ग प्रारंभ में सरल है किन्तु अन्त में वक्र है । एक मार्ग प्रारंभ में वक्र है किन्तु अन्त में सरल है । एक मार्ग प्रारम्भ में भी वक्र है और अन्त में भी वक्र है । इसी प्रकार पुरुष वर्ग भी चार प्रकार का है-मार्ग चार प्रकार का है । एक मार्ग प्रारम्भ में भी उपद्रवरहित है और अन्त में भी उपद्रवरहित है। एक मार्ग प्रारम्भ में उपद्रवरहित है अन्त में उपद्रवरहित नहीं है। एक मार्ग प्रारम्भ में उपद्रवसहित है अन्त में उपद्रवरहित है । एक मार्ग प्रारम्भ में और अन्त में उपद्रवसहित है। इसी प्रकार पुरुष वर्ग भी चार प्रकार का है। मार्ग चार प्रकार का है, यथा-एक मार्ग उपद्रवरहित है और सुन्दर है । एक मार्ग उपद्रवरहित है किन्तु सुन्दर नहीं है । एक मार्ग उपद्रवसहित है किन्तु सुन्दर है। एक मार्ग उपद्रवसहित भी है और सुन्दर भी नहीं है। इसी प्रकार पुरुष वर्ग भी चार प्रकार का है । यथा-एक पुरुष शांत स्वभाव वाला है और अच्छी वेशभूषा वाला है । एक पुरुष शांत स्वभाव वाला है किन्तु वेशभूषा अच्छी नहीं है । एक पुरुष खराब वेशभूषा वाला तो है किन्तु शांत स्वभावी है । एक पुरुष खराब वेशभूषा वाला भी है और क्रूर स्वभाव वाला भी है। शंख चार प्रकार के हैं । एक शंख वाम है और वामावर्त भी है । एक शंख वाम है किन्तु दक्षिणावर्त है । एक शंख दक्षिण है किन्तु वामावर्त है । एक शंख दक्षिण है और दक्षिणावर्त भी है। इसी प्रकार पुरुष वर्ग भी चार प्रकार का है । एक पुरुष प्रतिकूल स्वभाव वाला और प्रतिकूल व्यवहार वाला भी है । एक पुरुष प्रतिकूल स्वभाव वाला है किन्तु अनुकूल व्यवहार वाला है । एक पुरुष अनुकूल स्वभाव वाला है किन्तु प्रतिकूल व्यवहार वाला है । एक पुरुष अनुकूल स्वभाव वाला और अनुकूल व्यवहार वाला है। धूमशिखा चार प्रकार की है । यथा-एक धूमशिखा वामा है (बांयी और जाने वाली है) और वामावर्त भी है। एक धूमशिखा वामा है किन्तु दक्षिणावर्त है । एक धूमशिखा दक्षिणा है किन्तु वामावर्त है । एक धूमिशिखा दक्षिणा है और दक्षिणावर्त भी है। इसी प्रकार स्त्रियाँ भी चार प्रकार की हैं-अग्निशिखा, और स्त्रियों के चार भांगे । वायु-मंडल, और स्त्रियों के चार भांगे । वनखंड, और पुरुषों के चार भांगे जानना। सूत्र - ३०९ चार कारणों से अकेला साधु अकेली साध्वी से बातचीत करे तो मर्यादा का उल्लंघन नहीं करता है । मार्ग पूछे, मार्ग बतावे, अशनादि चार प्रकार का आहार दे, और अशनादि चार प्रकार का आहार दिलावे । मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (स्थान)- आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 59
SR No.034669
Book TitleAgam 03 Sthanang Sutra Hindi Anuwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDipratnasagar, Deepratnasagar
Publication Year2019
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 03, & agam_sthanang
File Size4 MB
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