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________________ आगम सूत्र २, अंगसूत्र-२, 'सूत्रकृत्' श्रुतस्कन्ध/अध्ययन/उद्देश/सूत्रांक यहाँ तक कि मैंने इन पदों में निहित अर्थ की धारणा की है या तथ्य निर्धारित किया है; अतएव अब मैं इन (पदों में निहित) अर्थों में श्रद्धा करता हूँ, प्रतीति करता हूँ, रुचि करता हूँ । यह बात वैसी ही है, जैसी आप कहते हैं।'' तदनन्तर श्री भगवान गौतम उदक पेढालपुत्र से इस प्रकार कहने लगे-आर्य उदक ! जैसा हम कहते हैं, (वह सर्वज्ञवचन है अतः) उस पर पूर्ण श्रद्धा रखो । आर्य ! उस पर प्रतीति रखो, आर्य ! वैसी ही रुचि करो । आर्य! मैंने जैसा तुम्हें कहा है, वह वैसा ही (सत्य-तथ्य रूप) है । तत्पश्चात् उदकनिर्ग्रन्थ ने भगवान गौतमस्वामी से कहा"भन्ते ! अब तो यही ईच्छा होती है कि मैं आपके समक्ष चातुर्याम धर्म का त्याग करके प्रतिक्रमणसहित पंच महाव्रतरूप धर्म आपके समक्ष स्वीकार करके विचरण करूँ ।' इसके बाद भगवान गौतम उदक पेढालपुत्र को लेकर जहाँ श्रमण भगवान महावीर बिराजमान थे, वहाँ पहुँचे । भगवान के पास पहुँचते ही उनसे प्रभावित उदक निर्ग्रन्थ ने स्वेच्छा से जीवन परिवर्तन करने हेतु श्रमण भगवान महावीर की तीन बार प्रदक्षिणा की, ऐसा करके फिर वन्दना की, नमस्कार किया, वन्दन-नमस्कार के पश्चात इस प्रकार कहा-'भगवन ! मैं आपके समक्ष चातुर्यामरूप धर्म का त्याग कर प्रतिक्रमणसहित पंचमहाव्रत वाले धर्म को स्वीकार करके विचरण करना चाहता हूँ।'' इस पर भगवान महावीर ने कहा ''देवानुप्रिय उदक ! तुम्हें जैसा सुख हो, वैसा करो, परन्तु ऐसे शुभकार्य में प्रतिबन्ध न करो।' तभी उदक ने चातुर्याम धर्म से श्रमण भगवान महावीर से सप्रतिक्रमण पंचमहाव्रतरूप धर्म का अंगीकार किया और विचरण करने लगा। -ऐसा मैं कहता हूँ। अध्ययन-७ का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण [श्रुतस्कन्ध २ हिन्दी अनुवाद पूर्ण] आगमसूत्र-२ 'सूत्रकृत्' अंगसूत्र- २ का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण मुनि दीपरत्नसागर कृत् (सूत्रकृत) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद' मुनि दीपरत्नसागर कृत् । (सूत्रकृत)- आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 113
SR No.034668
Book TitleAgam 02 Sutrakrutang Sutra Hindi Anuwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDipratnasagar, Deepratnasagar
Publication Year2019
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 02, & agam_sutrakritang
File Size3 MB
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