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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४९ रिजमणं, बारस सया अणुत्तरोबवाइयाणं० ॥ १५७ पासरस जं अरहओ पुरिसादाणीयस्स दुविहा अंतकडभूमी होत्या, तं जहा जयंत कडभूमी य परियायंतकडभूमी य । जाव चउत्थाओ पुरिसजुगाओ जयंतकडभूमी, तिवासपरियाए अंतमकासी ॥ १५८ ॥ सेणं काले तेणं समएणं पासे अरहा पुरिसादाणीए तीसं वासाई अगारवासम वसिता, तेसीति राइदियाई उमत्थपरियायं पाउणित्ता, देसूणाई सत्तार बोसाई केवलिपरियाय पाउणत्ता, बहुपडिपुन्नाई सत्तारं वासाई सामन्नपरियागं पाउणित्ता, एवं वासस्यं सव्वाउयं पालिता खीपे वेयणिज्जाउयनामगोते इसे ओसप्पिणीए दूसमसूसमाए समाए बहुवीहकताए जे से वासार्ण पढमे मासे दोचे पक्खे सावणसुद्धे तस्स णं सावणसुद्धस्स अट्टमीपम्स्वेणं उपि सम्मेथसेलसिरंसि अप्पचोचीसहमे मासिएणं भचेर्ण अपाणएर्ण विसाहादि नक्खत्तेणं जोगमुवागरणं पुव्वण्हकालसमयंसि वैम्यारियपाणी कालगए जाव सव्वदुक्खपहीणे ॥ १५९ ॥ पासरसणं अहओ पुरिसादाणियस कालगतस्स जाव सब्वदुक्खप्पहीणसे दुवालस बाससयाई विकताई तेरसमस य वाससयस्स अयं तीसहमे संवच्छरकाले गच्छ ॥ १६० ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिनेमी पंचचित्ते होत्या, तं जहा - चित्ताहि चुए चहत्ता गर्भ वक्ते जाव वित्ताहि परिनिव्व ॥ १६१ ॥ सेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिनेमी जे से वासाणं चत्थे मासे सत्तमें प्रक्खे कत्तियबहुले तस्स णं कत्तियबहुलस्स तेरसीपक्खेणं अपराजियाओ महाविमाणाओ बचीसं सागरोवम १-२ बरिसाई र ॥ ३ पालता गन्ध ॥ ४ सिहरस्स ॥ ५ बाधारि ॥ ६ धुवसेणराइणौ सुतोवणे तेरस कालसबाई तीसादियाई बिताई। ॥ For Private And Personal Use Only
SR No.034664
Book TitleKalpsutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorPunyavijay, Bechardas Doshi
PublisherSarabhai Manilal Nawab
Publication Year1952
Total Pages255
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & agam_kalpsutra
File Size5 MB
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