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विभक्ति संवाद
हे नाथ ! मैंने अपना निवेदन केवल संक्षेप में प्रकट किया है। आप तो सर्वज्ञ सर्वदर्शी हैं, सब कुछ जानते ही हैं । सभी विभक्तियों से मेरा गौरव बढ़ कर है। अतः सर्वप्रथम मेरे ही सम्बन्ध में कहने की कृपा करें।
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