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ધમ ન હાઇ શકે, એ તેા બાળજીવાના ચાળાજ છે. અને આવા કાર્ય સગદ્રેશથીજ સંભવિત છે. जैनी - माहण मार हटाविया, बचाया हरिकेशी । यक्ष तंदुक वृक्ष वासियो इणमें दया प्रकाशी ॥ ३७॥ भगवंत दया बताय दी, गणधर गूंथी आप । ते दोमोने दई जलांजली, कहन लाग गयो | ॥३८॥ पाप के काम तू देख कर, दया बनावै पाप | झूठी कौ प्ररूपणां, श्री जिन वचन उत्थाप ॥ ३९॥ गुरुकी आज्ञा पाय कर गया पर ठणो काज | कीडयांकी करुणां करो; धर्म रुचीं मुनीराज ॥४०॥ विष खाया पर गया, गुरु आज्ञा करी रद्य । तेरे लेख पाप है, तू कैसे कहे निर्वद्य ॥४१॥ तेरो कथन तू देख लै को हमारो मान । ते पाप दया साबित नहीं, तू ही करत प्रमाण ॥ ४२॥ धर्मको भेद अभेद बताय केर, यहां गयो तू चूक । प्रार दया साबित नहीं, पापको कहनो मूक ॥४३॥ मनमांनी निर्वद्य करी, पापमें दीनी जोड 1 प्राप दया साबित नहीं, अब पापको कहना छोड ॥ ४४ ॥ सूत्र कथन उत्थाप कर मनसे घडो लगाय । सूत्र विपक्षी बन गयो, मूर्ख लीये बहकाय ॥ ४५ ॥ अज्ञानपन कायम करी, झूठी बात बनाय ।
झूठने पगां चलावतो, पापकी दया बताय ॥ ४६ ॥
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