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गणिताध्यायका अनुवर्ती है । कोई अपने गुरुसे पायेहुए दो एक अंगरेजी “फर्मिडल" का भाषान्तर हस्तगत करकेही गुरुदास्याभिमान ज्योतिषीका पद पानेकी इच्छा करताहै, कोई विनाही अयनांश तत्त्वके जाने हुए, इच्छानुसार चलनवोले किसी पश्चिमदेशके ज्योतिषीका अनुकरण करताहै । उपरोक्त समस्त महाशयगणही इस मूलग्रन्थको पढकर अपने गुरु और भास्करादिके परमगुरु श्रीसूर्यसिद्धान्तके लेखक ऋषिजीके चरणोंमें प्रतिष्ठा प्राप्त कर अन्तदोहको निवारण करें ।
The humble translator didicates his worthless attempt to the benefactor of the Sunskrit knowing population of India i. e. Kleemaraj Shrikrishnadas Proprietor of the S. V. S. Press-Bombay.
P. B. PRASADA.
समर्पण। भारतवर्षके गौरवस्तम्भ वैश्यवंशावतंस परमादार देवभाषा उद्धारक
श्रीमान् सेठ-खेमराज श्रीकृष्णदासजी गुप्त महोदयेषु ।
श्रीमान् !
श्रीमान्ने संस्कृत भाषाका उद्धार करके भारतवासियोंका परमोपकार किया है । आपके समान धर्मरक्षक, दानशील, व आर्य ऋषियोंके बनाये प्राचीन शास्त्रोंका विस्तार करनेवाला और कोई नहीं है।
प्राचीन ऋषि मुनिजनोंके बनाये शास्त्रीय ग्रंयोंमें "सूर्यसिद्धान्त” नामक ज्योतिष ग्रन्थका आदर मान सब देशोंमें है । इसमें कोई सन्देह नहीं कि, ज्योति शास्त्र प्रधान शास्त्र है । इस शास्त्रके रक्षित और विस्तारित होनेसे संसारका मंगल होना जानकर श्रीमान्के उत्साहसे उत्साहित हो अनेक यत्न और बहुत परिश्रम करके “सूर्यसिद्धान्त " ग्रंथका अनुवाद साधुभाषामें किया। श्रीमान् जानतेही है कि, गणितशास्त्र सर्व साधारणके लिये कितना कठिन है । इस अनुषादको पायकर ज्योतिर्वित् पाण्ड• तोका विशेष उपकार होगा । विशेषता यह है कि, जो उदाहरण मैंने दिये हैं उनका अवलम्बन करके इस जटिल शास्त्रके भीतर प्रवेश करना बहुत कठिन न होगा।
सर्व शास्त्र रक्षाका श्रीमान्के करकमलमें यह अनुवादित ग्रन्थ अर्पण करके मैं आशा करताँहूँ कि इसको प्रकाशित करके आप सारे भारतवर्ष प्रचारित करदेंगे। बिना धनवान् लोगोंकी सहायताके भारतवर्ष में कोई महान्कार्य नहीं होता । यह विचार कर इस ग्रंथको प्रचार होनेकी कामनासे भवदीय महायशस्वी नामके साथ इसको संयुक्त कराहूं ।
भवदीय अनुग्रहीबलदेवप्रसाद मिश्र मोहल्ला दीनदापुरा, मुरादारबाद (पश्चिमात्तर)
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