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प्रथम स्तबक ]
भाषानुवादसहिता
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अन्तःकरणोपहितो जीवो विषयावभासकस्तस्य । विषयचिदैक्यद्वारा विषयैस्तादात्म्यमेष इत्यपरे ॥ ६३ ॥
nawwwwwwwwr अन्तःकरणोपहितस्य विषयावभासकस्य जीवचैतन्यस्य विषयतादात्म्यापन्नब्रह्मचैतन्यैक्याभिव्यक्तिद्वारा विषयतादात्म्यमेव चिदुपराग इति मतान्तरमाहअन्तःकरणेति । न चैवं द्वितीयपक्षसायम् , जीवस्य सर्वगतत्वे प्रथमः पक्षः परिच्छिन्नत्वे द्वितीयः इत्येवं तयोर्भेदसंभवादिति भावः ॥ ६३ ॥
जैसे? कारण और अकारणके संयोगसे कार्य और अकार्यका संयोग होता है वैसे ही कार्य और अकार्यके संयोगसे कारण और अकारणका संयोग भी माना जाता है, ऐसा भाव है ॥६२॥
चिदुपरागके विषयमें मतान्तर कहते हैं-'अन्तः०' इत्यादि ।
अन्तःकरणोपहित जीव विषयका अवभासक होता है; उस समय उस जीवचैतन्यके विषयतादात्म्यापन्न ब्रह्मचैतन्यके साथ ऐक्यकी अभिव्यक्ति होती है; उससे जो विषयतादात्म्य अनुभूत होता है, वह चिदुपराग कहलाता है। इस तृतीय पक्षका द्वितीय पक्षके साथ साङ्कर्य नहीं है, क्योंकि प्रथम पक्षमें जीवका सर्पगतत्व और द्वितीय पक्षमें परिच्छिन्नत्व होनेसे दोनोंका परस्पर भेद है।, ऐसा भाव है॥६३ ॥
* जैसे हाथ और पुस्तकके संयोगसे शरीर और पुस्तकका संयोग अर्थात् हस्तरूप अवयव शरीरके प्रति कारण है और पुस्तक कारण नहीं है, परन्तु कारण ( हस्त ) और अकारण (पुस्तक) इन दोनोंके सम्बन्धसे कार्य ( शरीर ) और अकार्य (पुस्तक) का संयोग नैयायिक प्रभृति मानते हैं, क्योंकि पुस्तकके साथ हाथका संयोग होनेपर 'मेरे शरीरसे पुस्तकका संयोग है' ऐसा लोकव्यवहार देखा जाता है, वैसे ही कार्य और अकार्यके संयोगसे कारण और अकारणका संयोग मानमेमें कोई क्षति नहीं है। प्रकृतमें वृत्ति जीवचैतन्यकी कार्य है और विषय अकार्य है, क्योंकि वृत्तिके प्रति जीवचैतन्य उपादान कारण है और विषय उपादान कारण नहीं है, ऐसी परिस्थितिमें जीव चैतन्यके कार्य (वृत्ति ) के और अकार्य ( विषय ) के संयोगसे वृत्तिके प्रति कारण (जीव चैतन्य ) और अकारण (विषयका) का संयोग संयोगजसंयोगशब्दसे कहा गया है; यह भाव है।
+ सम्बन्धी वृत्तिः' (वृत्तिका प्रयोजन सम्बन्ध है ) इस प्रथम पक्षमें यदि धृत्तिका प्रयोजन अमेदकी अभिव्यक्ति मानते हो, तो 'अभेदाभिव्यक्त्या वृत्तिः' (वृत्तिका प्रयोजन अभेदकी अभिव्यक्ति है ) इस द्वितीय पक्षके साथ प्रथम पक्षका साङ्कर्य हो जायगा, अर्थात् सम्बन्धाा वृत्तिः और अभेदाभिव्यक्त्यावृत्तिः, इन दो मतोंमें कुछ भेद नहीं होगा, यह
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