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ताम्बर तेरापंथ-मत समीक्षा |
'जैन शासन' नामक अखबारमेंभी छपवाए गये । इनके प्रश्नोंके उत्तर 'जैन शासन में समाप्त होनेही नहीं पाये, कि इतनेमें इन तेरापंथियोंने एक आठ-नव पनेका ट्रेक्ट निकाल डाला। यह ट्रेक्ट क्या निकाला ? मानो इन्होंने अपने आपसे अपनी मूर्खताकी मूर्ति खडी कर दी। जिनको भाषा लिखनेकी भी तमीज नहीं है, वे क्या समझ करके ऐसे ट्रेक्ट निकालते होंगे ? अस्तु, भाषाकी और ख्याल न करके विषयपर दृष्टिपात करने हैं, तो इसमें मृषावादसे भरी हुइ बातोंकाही उल्लेख देखनेमें आता है । जो बातें चर्चाके समयमें हुई थीं, उनको उडा करके नई नई बातें दिखानेका जादू प्रयोग खूब ही किया गया है। लेकिन इन लोगोंको स्मरणमें रखना चाहिये कि तुम्हारी ऐसी झूठी बातोंसे लोग फँसनेवाले नहीं है । पचासों आदमियोंके सामने जो बातें हुई थीं, उनको उडादेनेसे तुम्हारी अज्ञानताकी पूँजीही दिखाई देती है। अब आप लोग चाहे जितनी चलाकी करो, कुछ चलनेवाली नहीं है । तुम्हारे इस ८ पन्नेके ट्रेक्टमें, तेईस प्रश्न भाषासुधार करके प्रकाशित किये हैं। परन्तु हमारे पास तुम्हारा वह लंबा-चौडा चिट्ठा मौजूद है, जिसमें मारवाडी, हिन्दी, गुजराती, फारसी, उर्दु वगैरह भाषाओंकी खीचडी बना करके प्रश्न पूछे हैं । इसके सिवाय इस ट्रेक्टमें, आचार्य महाराजका पालीमें धूमधामसे सामेला हुआ, आचार्य महाराजने लेक्चरदिये, इसादि बातोंमें जो तुम्हारे हृदयकी ज्वाला प्रकटकी है, वह भी तुम्हारे द्वेष देवताके ही दर्शन कराती है। परमात्माका सामेला (सामैया) किस प्रकारसे होता था? उस समयके लोग शासनके प्रभावनाके लिये
कैसे २ कार्य करते थे ? उन बातोंको शास्त्रमें देखा । फिर तुShree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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