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परमपूज्य प्रातः स्मरणीय गुरुवर्य शास्त्रविशारद - जैनाचार्य श्रीवेजयधर्मसूरीश्वरजी महाराज, तथा इतिहासतत्त्वमहोदधि उपाध्यायजी श्री इन्द्रविजयजी महाराजका पध (रना हुआ, उस समय वहाँके तेरापंथियोंने आपसे चार दिन तक चर्चा की । अन्तमें वे लोग निरुत्तर होगये, तब उन्होंने तेईस प्रश्नोंका एक चिट्ठा दिया, और उनके उत्तर मागे ।
बस, इसी निमित्तको लेकरके, उनके तेईस प्रश्नोंके उत्तरके साथ, इस पुस्तकके निर्माण करनेका सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है । इस पुस्तकमें तेरापंथी मतकी उत्पत्ति, उसके मन्तव्य देनेके बाद पालीकी चर्चाका वृत्तान्त तथा उनके पूछे हुए तेईस प्रश्नोंके उत्तर दिये गये हैं । और अन्तमें उन तेरापंथियोंसे ७५ प्रश्नके उत्तर 1 उनके माने हुए ३२ सूत्रके मूल पाठसे मांगे हैं ।
मैं आशा करता हूँ कि तेरापंथि मतके विषय में, बिलकुल संक्षेपसे लिखी हुई इस पुस्तकको पढ करके, तेरापंथी तथा इतर महानुभाव भी लाभ उठावेंगे ।
शिवगंज [ एरणपुरा ] भाद्रपद सुदि १५ वीर सं. ता - ४ सप्टेम्बर सं. १९१४
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आचार्योपासक विद्याविजय.
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