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प्रकरण ४ थु.
अयोग्य दीक्षा अटकाववा शुं करवं. ५१. बीजा प्रकरणमा जणाव्या प्रमाणे मुस्लीम धर्ममां संन्यास लेवान कहेलु नथी
__छतां निर्वाहना साधन माटे फकीर बनी घणां जण भीख वेषधारी साधु बनता फकीरो- मागता फरे छे अने पोतानी साथे पोताना अगर बीजाना अने हिंदु साधुओ.
( तेमना मावापनी संमतिथी अगर संमतिविना काढी आणेला) छोकरां लईने फरता फरे छे अने धर्मने बहाने भीख मागी खाय छे अने भीख नहीं आपनारने सतावे छे. एज प्रमाणे हिंदुओमां जो के अमुक संयोगोमां संन्यास दीक्षा लेवानी छूट छे तोपण केटलीक धर्म संस्थाने अंगे मुंडेला आगर खरा वैराग्यथी पोते थईने योग्य रीते दीक्षित थयेला थोडा अपवाद शिवाय साध वेषमां फरता घणाखरा मात्र वेषधारीज होय छे अने तेओ दीक्षा आप्या वगरना अगर गमे त्यांयी गमे ते प्रकारे काढी आणेला सगीरो अने बीजानी टोळी जमावी साधुने वेषे भीख मागता फरता फरे छे. आ बन्नथी जनसमाजने घणो उपद्रव थाय छे तेथी एवा कहेवाता संन्यासी साधुओ अने फकीरनी संख्या कोई रीते कमी थाय अने निरुद्यमी जीवन गाळनारथी थतुं आर्थिक नुकसान अटके ए इच्छवा जोग ले. पण फोजदारी कायदामां मनुष्यनयन अने जीव खाई जाय एवी रीते भीख मांगवाना गुन्हा ठरावेला छे तेनो सखत रीते अमल थाय अगर खास कायदो करी भीख मागवानुं बंध करवामां आवे त्यां सुधो तेनो अटकाव थवो अशक्य छे. मात्र अयोग्य दीक्षा प्रतिबंधनो कायदो करवायी तेमना संबंधमां कई सुधारो थई शकशे एम लागतुं नथो. ५२. परंतु जैन धर्मनी साधु संस्था तेथी जुदाज प्रकारनी अने खरेखरी
धर्मनी भावनाथी बनेली होय छे. कोई पण जैन साधु जैन साधु.
रखडतो रझळतो जोवामां आवतो नथी. ते तेना धर्मथी ठरेला धोरणे मात्र आजीविका चलावत्रा जेटलं मागी लावी पोतानो वखत अध्ययन करवामां अने उपदेश आपवामां गाळे छे अने घणु करी कर्मनो क्षय करी मोक्ष मेळ. वधानी धारणाथी साधु बनेलो होय छे. प्रकरण ३ मां बताव्या प्रमाणे ए धर्ममा पण केटलाक समयथो साधु संख्या वधारवाने अयोग्य प्रयत्न थवा लाग्या छे अने तेमा मुख्य ए छे के दीक्षाना सगीर उमेदवारना माबाप विगेरे सगां अगर वालीनी संमति मेळवी दीक्षा आपवाने बदले एवी संमतिनी परवा राख्या वगर दीक्षा आपी देवामा आवे छे अने तेथी दीक्षा जेवा महत्वना धर्म कार्यने अंगे जैन संघमा पक्षो पडी तेमना वच्चे उघाडी रीते कजिया, कंकास अने वैमनस्य उत्पन्न थयां छे.
५३. आवी स्थिति सुधारवाने माटे वास्तविक रीते जे ते धर्मना अनुयायीओए जे ते धर्मना अनुयायीओनी
कजियानुं मूळ दूर करी अर्थात पोताना संघमां पेठेलो
सडो दूर करवा योग्य ते तजवीज करी पोताना धर्मनी फरज.
शुद्धता जाळची राखवी जोईए. हिंदु के मुस्लीम धर्म
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