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प्रमाणे जे खरो साधु के फकीर नथी पण मात्र पेट भरवाने माटे साधु के फकीर नो वेष लई फरतो होय तेने पोषवामां धर्म नथी, पण उलट आळसने उत्तेजन आपवानुं पाप थाय छे, एम समजी ए धर्मना अनुयायीओ तेमने कांई न आपे तेमज जेमणे अज्ञान उमरना छोकराने नसावा भगाडवानो गुन्हो कर्यो होय तेमने शिक्षाए पहोंचाडवानी तजवीज करे तो आवा ढोंगी साधु अने फकीरोनी संख्या कमी थई जे खरेखरा अने पवित्र होय अने धर्मोपदेश करवानुं भलुं काम करता होय तेत्राज टकी रही साधु संस्थाने माटे मानभक्तिमां वधारो थाय. एज प्रमाणे जे जैन आचार्यों सगीरोना मात्राप विगेरेनी संमति मेळव्या बगर छुपी रीते दीक्षा आपता होय तेमने माटे पण जैन संघ तरफ योग्य विचार थई घटीत पगलां लेवातां रहे तो तेमना नमूनेदार साधु वर्गमां हाल शास्त्र विरुद्ध वर्तन चलावी दीक्षा आपी देवानी जे अनिष्ट रीत दाखल थई छे ते बंध ई साधु र्गनुं गौरव अने महत्व हाल छे तेना करतां पण तेमां विशेष वधारो थाय. परंतु दीलगिरीनी बात छे के कोईना तरफथी ते प्रमाणे यतुं नथी अने तेथीज ते संबंधे शुं कर ए सरकारे विचार करवानो एक अगत्यनो प्रश्न उपस्थित थयो छे.
५४. सन १९२३ ना जान्युआरीनी ३० मी तारीखे दोल्हीमां भरायेली कौन्सील ऑफ स्टेटनी बेठकमां लाला सुखबीरसिंह नामना युनाइलाला सुखबीरसिंहनो खरडो. टेड प्रोवीन्सीझ तरफना सभासदे एक एवी मतलबनुं बीजू कर्तुं हतुं के फकीर अने बीजा धर्मने बहाने भीख मागता लोको सगीर वयना छोकराने अयोग्य रीते पोताना चेला तरीके तेमना मात्राना वालीपणामाथी लई जाय छे अने भीख मागवानो अने बीजो अनीतिनो धंधो करे छे; तेना अटकाव माटे कायदाथी एम ठराव जोईए के एवा साधु अने फकीरो जे सगीरने " चेला " के 66 मुद " तरीके लेवा मागता होय तेमना बाप के वाली साथे डिस्ट्रिक्ट मॅजिस्ट्रेट रूबरू हाजर करी एवो दाखलो मेळववो जोईए के ते साधु अगर फकीर जेमा चेला के मुरीद रखाता होय एवी कोई जाणीती धार्मिक संस्थानो सभ्य छे अने एवा सगीर चेला के मुरीदने तेना पिता के वालीनी रजामंदीथी ते चेलो करवा मागे छे. जो आवो दाखलो न मेळव्यो होय तो ज्यारे एवा दाखला वगरनो कोई सगीर चेलो के मुरीद साधु के फकीर पासे मळी आवे अने जो एम साबीत न थाय के तेना मात्राप के वालीए एवो सगीर गुम थवानुं जणातांज पोलिस के मॅजिस्ट्रेटने फरियाद करी हती तो ते बाप अगर वालीने रु. ५० सुधीनो दंड अगर १ मास सुधीनी आसान केदनी शिक्षा करवी जोईए. आवो कायदो करवो के नहीं ए विषे देशमां अग्रेसर गणाता केटलाक गृहस्थोनो अने संस्थाओनो अने स्थानिक सरकारोनो अभिप्राय पुछतां केटलाक नो लाभमा अने केटाको विरुद्धमां थयो हतो. विरुद्धतानो भाग मोटो हतो अने प्रजानी सामाजिक अने धार्मिक बाबतीमां दरम्यानगिरी नहीं करवानी सरकारनी नीति विरुद्धनी ए बाबत छे एम गणा सरकार तरफथी तेनी विरुद्वता करवामां आवी हती; अने तेथी ए कायदानी दरखास्त करनारे पोतानो खरडो पाछो खेंची लीधो हतो. ए
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