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यन करवानुं बाकी छे माटे ते तोषलीपुत्राचार्य पासे जई शीखी ले." ए उपरथी आर्यरक्षित ते आचार्य पासे गया अने पोताने दृष्टिवादनुं अध्ययन कराववाने विनंति करी; ते उपरथी तेमणे तेने का के जैन दीक्षा लीधा शिवाय ए शास्त्र तने शीखवी शकाय नहीं. ते उपरथी आर्यरक्षिते तूर्त दीक्षा लीधी अने ते शास्त्रनो अभ्यास कों. आर्यरक्षितने आपेली दीक्षामां नसाडवा भगाडवानो के फोसलाववानो कई प्रकार बन्यो नहोतो, तोपण पिता हयात छतां एकली मातानी संमतिथी तोषलीपुत्राचार्य दीक्षा आपी अने ते पण जाहेर रीते न आपी ते उपरथी ए दीक्षा “ निष्फेटिका " एटले चोरीनी दीक्षा गणाई हती, आ दृष्टांतनु महत्व घटाडवाने माटे यंग मेन्स जैन एसोशिएशनना केटलाक सभ्यो तथा बीजाओ तरफथी एवी दलील करवामां आवी छे के दीक्षा वखते आर्यरक्षितनी उमर ११ वर्षनी एटले के सोळ वर्षनी अंदरनी हती अने तेथी तेमां बापनी समति लीधी न होवाथी ते " निष्केटिका दीक्षा" गणाई छे ते बरोबर छे; कारण के १६ वर्षनी अंदरनाने माता पिता विगेरेनी संमति विना दीक्षा आपवानी नथी. आ दलीलना टेकामां युगप्रधान गंडिका नामना पुस्तकमां दीक्षा लेती वखते आर्यरक्षितनी उमर ११ वर्षनी लखी छे एम कहेवामां आव्युं छे अने एवी रीते आर्यरक्षित अज्ञान वयना छतां लागतावळगता बधानी संमति वगर दीक्षा आप्याने कारणे तेने निष्फेटिका कही छे; परंतु आ दृष्टांतनु महत्व घटाडवाने अने दृष्टांत मात्र सगीरना संबंधमांज लागु पडे छे एवं बताववाने आर्यरक्षितनी उमर युगप्रधान गंडीकामा २२ ने बदले ११ वर्षनी उमर बतावी हशे एवो शक लेवा ब्याजबी कारण जणाय छे. जे कोष्टकमां उमर दाखल करेली छे ते कोष्टक युगप्रधान गंडिकानो मूळ विषय नथी. ए कोष्टक पाछळथी दाखल थयेल होवू जोईए; कारण के श्रीसुधर्मास्वामी, आर्यरक्षित, आर्यसुहस्ती अने एक चोथा आचार्यनी उमर तेमां दर्शावेली छे. तेमां पण फरक होवाथी बीजा आचार्यो ते ग्राह्य करता नथी, वळी वडोदरामां यगप्रधान गंडिकानी एक बीजी प्रत छे के जेनुं बीजु नाम ' दुष्माकालस्तोत्र' छे तेमा उमर ते प्रमाणे नथी. विशेषमा आर्यरक्षितनुं जीवनचरित्र के जे परिशिष्ट पर्वमां हेमचंद्राचार्ये लखेल छे ते जोवाथी खात्री थाय छे के आर्यरक्षितनी उमर दीक्षा लेती वखते ११ वर्षनी होवानो बिलकुल संभव नथी कारण के जेटलुं तेमना पिता जाणता हता तेटलुं दीक्षा लेतां पहेलां ते तेमनी पासे भण्या हता अने त्यार पछी विशेष भणवाने माटे पाटलीपुत्र गया हता. त्यां अंगो, चार वेद, मीमांसा, न्यायपुराण अने धर्मशास्त्र भण्या पछी पोताना घेर आव्या हता. आर्यरक्षिते दीक्षा बावीस वर्षनी उमरे लीधी हती एम श्री सुमतिगणीरचित गणधरसार्धशतक, बृहद्वृत्ति, सर्वजगणीकृत गणधरसार्धशतक लघुवृत्ति अने श्री विजयानंदसरि आत्मारामजी महाराज कृत अज्ञानतिमिरभास्करमाथी पण आधार मळी आवे छे. एटले दीक्षा लेती वखते आर्यरक्षितनी उमर ११ वर्षनी होवानो बिलकुल संभव नथी. सोळ वर्ष उपरनी उम्मरना इसमो दीक्षा ले त्यारे तेमनां मावापनी संमति मेळवत्री जोईए एम श्री हेमचंद्राचार्य कृत
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