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त्रिषष्टीशलाकापुरूषचरित्रमाथी पण दाखलो मळे छे. विनयनंदन नामना सूरिनो बोध सांभळी पुरूषसिंहकुमार नामना राजपुत्रने दीक्षा लेवानी इच्छा थवाथो दीक्षा आपवाने तेणे तेमने विनंति करी त्यारे ते सांभळी सूरि बोल्या:-" हे राजकुमार तमारो आ मनोरथ घणो श्रेष्ठ अने पुण्य संपत्तिने साधनारो छे माटे ते अमे पूर्ण करीशु पण प्रथम तमे नगरमां जई तमारा मातापितानी रजा लईने आवो. कारण के जगतमां प्राणीने पहेला गुरू माता पिता छे.” मुनिना ए वचन सांभळी पुरूपसिंह नगरमा गयो अने माबाप पासे जई दीक्षा लेवानी परवानगी आपवा विनंति करी; अने तेमणे ज्यारे खुशी थईने संमति आपी त्यारेज सरिए तेने दीक्षा आपी हती, (पर्व ३ जु सर्ग ३ जो.) ४४. संमति बाबत धर्मबिंदुनो जे आधार बताव्यो छे ते प्रमाणे संमति मेळववा
. धर्मबिंदुना टिकाकारे जे युक्ति करवा लख्युं छे ते युक्तिना माता पिता विगेरेनी संमतिनी संबंधमां तेणे एवो खलासो कर्यो छे के संबंधी वर्ग अनुआवश्यक्ता.
मति आपे नही तो तेमने नठारा स्वप्न कहेवां, मृत्यु समीप आवेला जेवा पुरुषनां चिन्ह देखाडवां अने जोशी विगेरे लोकोनी पासे मातापितादिकने एवं कहेवडावq के आनुं थोडा वखतमा मृत्यु थशे माटे तेना कल्याण माटे दीक्षा लेवा द्यो. मा बाप विगेरेनी संमतिनी एटली बधी आवश्यकता राखी छे के ते न आपे तो आ प्रमाणे युक्ति करीने पण ते मेळवबा का छे. वळी एज प्रमाणे जेनी जेटली शक्ति होय तेटली शक्ति प्रमाणे मातापिता विगेरे प्रमुख गुरुजनना चित्तन समाधान करवा माटे तेमना निर्वाहना सावन माटे पोतानी शक्ति प्रमाणे आजीविकानो बंदोबस्त कर्या पछी दीक्षा लेवान पण कहुं छे; के जेथी पाछळथी पोताना माता पितादिकने निर्वाहना कारण माटे हेरानगति भोगववी न पडे. १ एम करवाथी पोते कृतज्ञता करली कहेवाय छे जैन धर्मना उद्योतनुं बीज करुणा अने दया छे, तेथीज माता पिता स्त्री विगेरेने खुशी करी तेनुं अनुमोदन मेळवो दीक्षा लेवान का छे. ज्यां ए प्रमाणे थतुं नथी त्यां पाछळ क्लेश अने मारामारी थवाना अने हालमां तो न्यायाधिशीमा फरियादो थवाना प्रसंग पण बने छे. उदाहरण तरीके थोडा समय उपर खंभातना एक युवानने तेना मा बापनी संमति वगर दीक्षा आपनार मुनिने मारमारीने युवानने घेर लई जवानो दाखलो वासद आगळ बन्यो हतो; वळी अमदावादमां कांतीलाल नामना युवाने परणेलो छतां पोतानी स्त्रीनी संमति वगर तेम तेना भरणपोषण माटे कंईपण तजवीज कर्या वगर दीक्षा लीधी हती ते उपरथी तेनी स्त्रीए खोराकी माटे फोजदारी न्यायाधिशीमां फरियाद करी हती; न्यायाधिशीए दरमासे रु. २५ तेणीने आपवानो हुकम को हतो, परंतु ते ठराव उपर हायकोर्टमां विवाद थतां एबुं ठयु हतुं के दीक्षा लीधेला जैन सामे तेनी स्त्रीनो खोराकी पोशाकनो दावो चाली शके नहीं; कारण के दीक्षा लीधा पछी तेनी काईपण मिलकत रहेती
१ धर्मबिन्दु, अध्याय ४, सूत्र ३२.
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