________________
नीया एवा महान पुरुषोनुं अनुकरण करवा बेसे तो ए धर्मने अने पोताने शोभाववाने बदले लजवे. आज काल लेवाती दीक्षामां कायरता शिवाप काई जोवामां आवतुं नथी अने तेथीज साधुओ पण तेजस्वी होवाने बदले घणा खरा आपणा जेवा दीन अने ज्ञानहीन होय छे. दीक्षा लेवी ए पराक्रमर्नु काम छ भने तेनी पाछळ पूर्वजन्मना महा संस्कार अथवा तो आ जन्ममा मेळवेलुं अनुभव ज्ञान होवू जोईए. वृद्ध माता अने तरुण स्त्रीनो कांईपण विचार कर्या विना दीक्षा लेनारने एटलो बधो वैराग्य होवो जोईए के आसपासनो समाज ते समज्या वगर रहे नहीं. आ दीक्षा लेनार जुवानने ते होय एम जोवामां नथी भावतुं." ४३. आ तो सोळ वरसनी अंदरना सगीरना संबंधमां थयु; परंतु १६
वरसनी उपरांतनो दीक्षानो उमेदवार होय अने तेनां सोळ वरसनी उपरनाने दीक्षा
" माबाप हयात होय अगर ते परणेलो होय तो माबाप लेती वखते माबाप विगेरेनी संमतिनी अपेक्षा.
अने पत्नीनी संमति देवी जोईए के केम ए तकरारी
प्रश्न छे. मूर्तिपूजक श्वेतांबरोनो एक पक्ष जेनी आगेवानी अमदावादना · यंगमेन्स जैन एसोसिएशन' ना चालको करे छे तेगर्नु कहेदूं एवं छे के १६ वरसनी उपरांतना माणसोने दीक्षा आपवामां कोईनी संमतिनी जरूर नथी. ए विरुद्ध बीजो पक्ष के जेनी आगेवानी जूदे जूदे स्थळे स्थापन थयेला युवक संघ करें छे तेमनु कहे£ एq छे के एवे प्रसंगे पण संमति लेवानी अपेक्षा रहे छे; कारण जे अढार प्रकारना पुरुषोने अने वीस प्रकारनी स्त्रीओने दीक्षा आपवाने शास्त्रमा अयोग्य जणाव्यां छे तेमा अढारमी नालायकी माबाप विगेरेनी संमतिनो अभाव छे अने एवी संमति मेळव्या वगर आपेली दीक्षाने निष्फटिका' एटले के चोरीनी दीक्षा गणेली छे; तेमां कई ९वो भेद राख्यो नथी के संमति १६ वरसनी अंदरनाने माटेज जोईए अने ते उपरना माटे न जोईए; सामान्य रीते बधी उमरनाने माटे संमतिनी अपेक्षा राखेलो छे. बंने पक्ष तरफथी बतावेली दलीलो विचारमा लेतां अमने लागे छे के १६ वर्ष तथा ते उपरनी उमरनो इसम पोतानी स्वेच्छाथी दीक्षा लेतो होय तो तेम करवामां कायदा प्रमाणे बीजा कोईनी संमतिनी जरूर रहेती नथी, पाल्यपालक निबंध (Guardian and Wards Act ) मां ठरावेली १८ के २१ वर्षनी उमरनी यत्ता, लग्न अने धर्म कार्यना संबंधमा लागू पडती नथी. १६ वर्षनी उमर थया पछी लग्न अने धर्म संबंधी कार्यमा जे ते सखसे आपेली संमति कायदेसर छे अने तेथी माबाप ना कहेता होय तोपण १६ वर्षनी उमरनो पुरुष पोतानी ईच्छा होय ते प्रमाणे वर्ती शके छे ए वात खरी छे; पण दीक्षा लेवा जेवू धर्म कार्य, जेणे अत्यार सुधी पाळी पोषी मोटा कर्यो होय एवां माबाप अगर शास्त्र विधि प्रमाणे जेनी साथे लग्ननो संस्कार को होय तेमने रडावी, ककळावी अगर तेमने आधार वगरना करी पोतानी स्वेच्छा प्रमाणे संसारमाथी चाल्या जवु ए नीतिधर्म प्रमाणे कई धर्म कार्य गणाय नहीं; माटे तेमनी संमतिनी कायदा
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com