________________
आपी देवामां आवे छे. अदत्तदान नहीं लेवाने पोताना महाव्रतथी बंधायेला आचार्योए माबापनी संमति वगर अज्ञान उमरना छोकराने दीक्षा आप्या बद्दलना अमारी आगळ आवेला घणा दाखला पैकी मात्र छाणो, डभोई अने चाणस्मावाळाज लक्षमां लईए तो तेटलाज उपरथी स्पष्ट थाय छे के एज छोकराओने दीक्षा आपनार आचार्य शास्त्र विरुद्ध वर्तन करी शिष्य चोरी अथवा निटिकानो अपराध को हतो. जो जैनसंघ पहेलांना जेवो शुद्ध अने सारो रह्यो होत तो आवा चोरी करनार आचार्यना कपडां तत उतरावी लेत अगर निदान तेने ठपको आपी फरीथी एवं नहीं करवाने ताकीद आपत; तेज प्रमाणे बीजा आचार्यो पण तेमनो फीटकार करत. परंतु ते पैकी कोईए कंई कर्यु नथी; एटलुज नहीं पण उलट खरी हकीकत छुपात्री ए छोकरानी उमर तो १६ वर्षनी थई गयेली हती एटले कोईनी संमति लेवानी कई जरूर नहोती एम कही शास्त्र विरुद्ध वर्तनार साधुनो खोटी रीते बचाव करवामां आवे छे; एटलुज नहीं पण तेमनो बचाव करवाने केटलाक तरफथी खरी हकीकत आगळ लावनारनो वर्तमानपत्र विगेरे द्वारा धर्मविरोधी तरीके फीटकार करवानी तजवीज थई छे, ए अमने घणुं शोचनीय लागे छे. जो खरी रीते चालवान होय तो दीक्षा आपवाना काममा छुपवट शा माटे जोइए ? जो खरी रीते चालवान होय तो जे आचार्य पासे सगीर छोकरा तेमना माबाप के सगां साथे लीधा वगर दीक्षा लेवा आवे तेमने कंईपण तपास कर्या वगर गमे त्यां लई जई दीक्षा आपी देवाने बदले तेमना माबापने खबर आपीने तेडावे, तेमने पूछीने उमर विगेरे विषे खात्री करे, तेमनी संमतिनी जरूर होय तो ते मेळवे, दोक्षा आपवा माटे सगीरमां खरा वैराग्य विगेरेनी लायको छे के नहीं ते पण जुए अने दीक्षा आपत्री योग्य जणाय तो तेने माटे मुहूर्त नको करे, संधने खबर कहे, वरघोडो कढावे अने जाहेर अने उघाडी रीते सर्व कार्य करे. एम न करतां छूपी रीते अने तूर्तातूर्त दीक्षा आपी देवामां आवे छे, एज देखाडे छे के दीक्षा आपी दीक्षितोनी संख्या वधारवानी इन्तेजारीमा हाल घणु अणवतुं थाय छे एम सुधारक जैनो तरफथी जे आक्षेप करवामां आवे छे ते आधार वगरनो छे एम कही शकातुं नथी. दीक्षा आपी देवानी उतावळ करवाने बदले महात्मा गांधीजीना नीचेना उतारामां जणावेलो बोध ध्यान राखवामां आवे तो साधु संस्थानी केटली बधी उन्नति थाय तेनो ख्याल करयो घटे छे. तारीख २८ आगस्ट १९२७ ना नवजीवनना पान ४२१ उपर एवी हकीकत छाई छे के झावरा स्टेटनी एक ओस्वाल बाईनो धणी नानी वयनो छतां दीक्षा लेवानो इरादो करी घर छोडी गयो हतो अने जती वखते पोतानी स्त्री उपर एक पत्र लखी गयो हतो के मारे दीक्षा लेबी छे अने बे वरसथी हुँ परवानगी मागु छु पण कोई आपतुं नथी माटे हवे में पोतेज दीक्षा लेवानो विचार कया छे. आ हकीकतना संबंधमां महात्मा गांधीजीए लख्यु छे के “ मारी उमेद छे के आ नवयुवकने कोई दीक्षा न आपे, एटलुंज नहीं पण ते पोतेज पोतानो धर्म समजशे. नानी वये बुद्ध के शंकराचार्य जेवा ज्ञानी दीक्षा ले ए शोभी शके छे पण हरेक जुवा
www.umaragyanbhandar.com
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat