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ए पुस्तको छे. आ विरुद्ध कई अयोग्य थतुं नथी एम कहेनारां' आत्माने ओळखो' अने तेना जेवां पुस्तको छे. जैन वर्तमानपत्रोमां पण एक तरफ " जैन " अने एवां बीजां सुधारक पत्रो अने तेना विरुद्ध " जैन प्रवचन " "वीर शासन" पत्रो छे. जैन धर्मनी साथेना संबंध वगरनां पत्रोए पण पोतानी कालमो बने पक्षने माटे उघाडी राखी छे, अने आ रीते कागळ उपर बने पक्षनी वच्चे द्वन्द्व युद्ध चाली रहेलुं छे एम तेमना तरफथी समिति तरफ मोकलाती नकलो उपरथी जणाई आवे छे. अमे आवां पुस्तको अने लेखो उपर कई ध्यान आप्यु नथी पण अमारा आगळ आवेली पुरावा तरीकेनी हकीकत उपरथी अमारी खात्री थई छे के सोळ वर्षनी अंदरनी कुमळी वयना बाळकोने तेमना माबापनी संमति मेळववानी दरकार राख्या वगर जैन धर्मना फरमान विरुद्ध केटलाक साधु दीक्षा आपी दे छे अने तेने लीधे जैन समाजमां पक्ष पडी गया छे. ४१. बीजो मुद्दो ए जोवानो छे के दीक्षानुं रहस्य न समजे एवा सगीरोने
दीक्षा आपवामां आवे छे के केम ? आ आक्षेप पण समज वगरनाने दीक्षा
दाता खरो लागे छे. दीक्षा एटले शु, ते लेवानो उद्देश शो, अपाय छे?
तेनुं परिणाम शु थशे, ए कुमळी वयनां बाळको समजी शके के केम ए बहू विचारमा लेवा जेवी बाबत छे. ए वात खरी छे के आठ वर्षनी उमरनाने दीक्षा आपवानी शास्त्रमा छूट राखेली छे पण दीक्षा आपवान! काममा मात्र उमर नहीं पण समज पण जोवानी होय छे. मनुष्यपणुं दुर्लभ छे, जन्म ए मरणर्नु नीमीत्त छे, संपत्ति चंचळ छे, इंन्द्रिओना विषयो दुःखना कारणभूत छे, संयोगमा वियोग रहेलो छे अने मरण क्षणे क्षणे थयाज करे छे एवं जे समजी शके तेने दीक्षा
आपी शकाय. पण आ तत्वज्ञान कुमळी वयनां बाळक समजी शके नहीं; एवी समज लायक उमरवाळामां पण थोडानेज होय तो पछी सगीर वयनामां तो क्यांथी होय ? आवी समज होवानी खात्री करी दीक्षा अपाती होय तो सोळनी अंदरनी वयनाने तो कदी पण आपवामां न आवे; पण एवी वयनाने दीक्षा आपवामां आवे छे एज देखाडे छे के शास्त्रमा दीक्षा आपतां पहेलां जेवी परीक्षा करवाने का छे तेवी परीक्षा कर्या वगर जे कोई हाथमां आवे तेने मंडीदे एवा साधु पण होय छे. यतिव्रत पाळवाना संबंधमां एवं कहेवामां आव्युं छे के ते असिधारा जेवा दुर्गम मार्गपर चालवा बरोबर छे. वळी कहयुं छे के संयमनो भार वहन करवो, ब्रह्मचर्य पाळवू, बीजाने उपदेश आपको, देशोदेश विचर टाढ तडका सहन करवा, परीश्रम खमवा, ज्ञाननो अभ्यास करवो अने तप आदर, ए विगेरे अनेक विषम कार्यो यतिने करवानां होय छे. माटे जे एवा पदने लायक होय तेनेज यति बनाववो जोईए; एवो माणसज साधुपणाने शोभावे छे अने पोताना आत्मानुं कल्याण करे छे. एटला माटेज जेनामा परिच्छेद २४ मां बतावेला १६ गुण होय तेनेज दीक्षा आपवा शास्त्रमा फरमावेल छे. आ १६ गुणोमां केटलाक एवा छे के माणस
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