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एक ठेकाणेथी बीजे ठेकाणे मोकलावी दीधानी हकीकत खरी जणाई हती अने तेम करवानो हेतु पण तेना सगांनो विरोध थशे एम जाणी तेमाथी छटकी जवानो होबार्नु नीकळ्युं हतुं. सोळ वर्षनी अंदरनी सगीर वयनो एक छोकरो डभोईमां आवेला तेना घेरथी छानोमानो नासी गयो हतो; तेने दीक्षा आपनार साधुए ऊंझाथी सिद्धपुर अने त्यांथी मेत्राणा अने तुंडाव लई जई एक झाड नीचे दीक्षा आपी दीधी हती. बीजो एक एवीज सगीर वयनो छोकरो चाणस्मानी निशाळमां भणतो हतो त्यांथी छानोमानो दीक्षा लेवा साधु पासे चाल्यो गयो, तेने घणे ठेकाणे रखडावी चितोड पासे एक गामडामां दीक्षा आपी देवामां आवी हती अने तेना बापे पोलिसमां मनुष्यनयननी फरियाद करी हती ते उपरथी घणी वखत तपास चाली हती अने तेने पांचसो सातसो रूपिया खर्च पण थयुं हतुं पण छोकरानो कई पत्तो लाग्यो नहीं. आखरे केटलेक वर्षे छोकराए पोते थईने कागळ लख्यो त्यारे तेनो पत्तो लाग्यो अने तेने दीक्षा आपी दीधेली होवार्नु जणायुं हतुं. एज प्रमाणे आमोदनी एक बाईना ११ वर्षना छोकराना संबंधमां तेना मामाने रू. १००० आपवाना ठरावी कोई दीक्षा घेलाए तेनी मानी संमति वगर दीक्षा आपवा तजवीज करी हती पण ते माना प्रयत्नथी ए तजवीज निष्फळ नीवडी हती. छाणीनो एक सगीर छोकरो माबापने कह्या वगर दीक्षा लेवा मुंबई तरफ जतो रह्यो हतो; तेना माबाप तरफथी तेने दीक्षा नहीं आपवा साधुने मनाई करेली हती छतां तेने छुपाक्वा अंधेरी अने घाटकुपर बच्चे अहींथी तहीं फेरवी गुप्त रीते दीक्षा आपो देवामां आवी हती अने बापने मुंबाई जई छोकरानो पत्तो पाडी घेर तेडी लाववो पडयो हतो. आवा दाखला बने छे त्यारे दीक्षाना हीमायती धर्मचुस्तो अहिंथी तहीं दोडी जई, लागवग चलावी माबार उपर दबाण करे छे अने खरी हकीकत आगळ आवती अटकाववा प्रयत्न करे छे; एवा दबाणथी डरी जई केटलीक वखत माबाप फरियाद करतां अचकाय छे, अगर जाणे कई बन्युज न होय एवी खोटी हकीकत तेमने कहेवी पडे छे, एम केटलाक दाखला उपरथी अमने जणायुं छे. आवी तजवीजोथी पुरेपूरी हकीकत आगळ आवती नथी तो पण केटलाक निडर अने स्वधर्मना खरा हितेच्छुओए पोतानी विरुद्ध पक्षना पोताना धर्म बंधुओनी खफगी वहोरी लेवानुं जोखम खेडीने दीक्षामां चालती आवी गेरशीस्त रीतो उघाडी पाडवाने पुस्तको बहार पाडयां छ; अने तेनो विरोध करवाने सामा पक्ष तरफथी पण प्रसिद्ध थयां छे. अयोग्य दीक्षा अपाय छे अने दीक्षितो मेळववाने अधर्मी आचरण थाय छे एवो आक्षेप करनारां
(१) अमृतसरिता, (२) वीर धर्मनो पुनरुद्धार, (३) पर्युषण पर्वनां व्याख्यानो भाग १-२, (४) जैन दीक्षा प्रथम खंड अने (५) समयने ओळखो.
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