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साध्वी व्याख्यान निर्णयः
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आम अमुक अपवाद ने बाद करता दुःख गर्भित के मोह वैराग्य थायः ए ए मार्गे जवां तैयार थाय । घर ना मायलो समझे ठीक थयुं । रोटला आपवा मट्या कारण आजे विधवा घर मां फरती होय ए सोने मन काली नागणी भासे छे विधवा ऊपर सितमो गुजराय छे से अत्यारे लखवा इच्छती नथी । श्रपणे साध्वी जीवन ज विचारवानुं छे । ए बाई लाल कपड़ा दूर करी धोला वेश मां आवी जाय छे, अर्थात् परम पवित्र भागवती दीक्षा ने ग्रहण करे छे ।
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पछी तो आपणे जोइए छीए के सर्व काम नो बोझो शिष्याओ ऊपर ज मूकाय छे अने वडीलो तरफ थी हुकमो नी हार माला तो चालू ज होय । जेम गृहस्थाश्रम मां सासू, सासू पशु भजवे तेम दीक्षा मां गुरू, गुरूपणुं भजवे छे । आ शुं तेमनी ओछी भूल कहेवाय ? अलवत, गुरू नो विनय करवो, तेमनी आज्ञा मां खड़ा पगे ऊभा रहेवुं, परन्तु ते विषे तेमनी कदर होवी जोइए पण आजे ए बधुं विसराइ गयुं छे । पोते तो चार पांच बाइओना घेरा मां बेसी घरो घरी पंचात कूठे अने विकथाओ मां उतरी पोता ना समय ने बरबाद करे छे । शिष्याओ ने भणाववानी पण जरूरत नहीं भेटले अभ्यास मां पण पछात । पंच प्रतिक्रमण कर्या ने चार आठ चोढालिया, थोड़ा क स्तवन सज्झायो कर्या पटले बेड़ा पार । पण हां, क्या थी वधे ? गुरुजीश्रो भणेली होय त्यारे ने ?
अज्ञानमय जीवन प्रथम थी ज हतूं नै पाछल थी पण तेम थवा म्युं । कलह, ईर्षा - अदेखाइ, चरसा चरसी विगेरे दूषणो जीवन मां जड़ घाली रहेल पहेले थी ज हता । तेने दूर करवा, जीवन सुन्दर बनाववा, त्यागी बनावनार त्यागीओ तरफ थी जराये सूचना के समझाववा मां आयु नहीं । समयनी कठिनता, आत्मा केम उज्वल बने ? जीवन सु यशश्वी
म थाय ? तेनुं एने भानज न करावयुं । कारण एने तो घरना काममा थी मुक्त करवी हती अने चेलीनी लालसा हती ते काम तो नहींयां पण कर पड़े छे ! कहो, हवे एना मां थी अज्ञान, कलह अने ईर्षा आदि दोषो कई रीतिए दूर थाय ?
लुंज नहीं पण पू० मुनिराजो नी उपाधि कंद साध्वी संस्था माटे ओछी नथी । तेओ प्रथम थी ज ' स्त्रीवर्ग ' ने दासी तरीके गणना मां देवाइ गरला दोवा थी अने शास्त्र मां थी एकाद दाखलो ( जेवो के सौ वर्ष नी दीक्षित साध्वी आज ना दीक्षित साधु ने वांदे) आगल धरी, साध्वी संस्था ने तुच्छगणी पोतानी ताबेदारी मां रहेषा हकुमत चलाववा हिम्मत करे छे ।
गुरु नो विनय करवाना बाना थी साध्वीजीओ पासे श्री, गृहस्थो नी जेम मुनिराजो पोताना कपड़ा धोवा, श्रोघा वणवा पाठा भरवा, कामलीओ नी कोरो चीतरची, कपड़ा सीबवा भने पात्र रंगवाना कार्यो करावे छे । जाणे नोकरड़ीओ राखी होय तेम एक पछी एक काम ते तरफ थी तैयार ज होय ।
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