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________________ २४२ सद्धमण्डनम् । कोई युद्ध नहीं होता क्योंकि जहां दोनों ही विजयकी इच्छा से दोनों पर आक्रमण करें ant युद्ध है चूहा तो बिल्लीसे डर कर भयभीत होकर आप ही भागा फिरता है वह युद्ध करनेके लिये बिल्लीके सम्मुख नहीं जाता इसलिये वह युद्ध नहीं है किन्तु वलवान् हिंसक प्राणीके द्वारा वहां दुर्बल और कायर प्राणीकी हिंसा हो रही है उसे युद्ध कायम करके चूहे की प्राणरक्षा करनेसे चूहेकी ज ेत और बिल्ली की हार बतलाना अज्ञानियोंका का समझना चाहिये । बोल १८ वां समाप्त ( प्रेरक ) दशवैकालिक सूत्र अध्ययन ७ गाथा ५१ को लिख कर उसकी समालोचना करते हुए भ्रमविध्वंसनकार पृष्ठ १४६ पर लिखते हैं: "अथ अठे को - वायरो, वर्षा, शीत, तावडो, राजविरोध रहित सुभिक्षपणो, उपद्रव रहित पणो, ए सात बोल हुवो इम साधुने कहिणो नहीं तो करणो किम उदुरादिकने मिनकियादिकथी छुडायने उपद्रव पणो रहित करे ते सूत्र विरुद्ध कार्य्य छै ( ० पृ० १४६ । १४७ ) इसका क्या समाधान ? ( प्ररूपक ) दशवैकालिक सूत्र अध्ययन ७ गाथा ५१ में साधुको अपनी पीड़ाकी निवृचिके लिये उक्त सात बातों की प्रार्थना करना वर्जित किया गया है क्योंकि आर्तध्यान करना साधुको उचित नहीं है और यह आर्तध्यान है परन्तु असंयति जीवकी प्राणरक्षा होनेके भयसे उक्त सात बातोंकी प्रार्थनाका निषेध यहां नहीं किया गया है। देखिये वह गाथा और उसकी टीका ये है: "वाओ विट्ठि च सोउन्हं होमं धायं सिवंतिया । कयाणुहुन याणि मावा होऊत्ति णोवए" ( दशवैकालिक अ० ७ गाथा ५१ ) इसकी दीपिका टीका:"पुन: किश्व धर्मादिनाऽभिभूतोयतिरेवंनो वदेदधिकरणादिदोषप्रसंगात् । वातादिषु सत्सु सत्त्व पीडा प्राप्तेः । तद्वचनतस्तथाऽभवनेऽप्यार्तध्यान भावादित्येवं नो वदेत् । तत्किं - वातो मलय मारुतादिः वृष्टवा वर्षणं शीतोष्णं प्रतीतं क्षेमं राज Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034599
Book TitleSaddharm Mandanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Maharaj
PublisherTansukhdas Fusraj Duggad
Publication Year1932
Total Pages562
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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