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परिशिष्ट
१७ विक्रम संवत् १११५ में कमलावती के गर्भ से पृथ्वीराज का जन्म हुआ। एकवार मंडोर का स्वामी नाहड़राव, अनंगपाल से मिलने, देहली गया, और वहां पर उसने पृथ्वीराज की सुंदरता को देख अपनी कन्या का विवाह उसके साथ करने का विचार प्रकट किया । परन्तु कुछ काल बाद उसने अपना यह विचार त्याग दिया । इससे पृथ्वीराज ने, वि. सं. ११२६ के करीब, मंडोर पर चढ़ायी की, और नाहराव को हराकर उसकी कन्या से विवाह किया ।
इसके बाद अनंगपाल ने, अपने बड़े दौहित्र जयचन्द के हक का विचार न कर, विक्रम संवत् ११३८ में देहली का राज्य पथ्वीराज को सौंप दिया । ___ कुछ काल बाद पृथ्वीराज के देवगिरि के यादव राजा भाण की कन्या को, जिसका विवाह कनौज-नरेश जयचन्द के भतीजे वीरचन्द के साथ होना निश्चित होचुका था, हरण कर लेजाने से उस ( पृथ्वीराज ) की और जयचन्द की सेनाओं के बीच युद्ध हुआ ।
इसके बाद पृथ्वीराज की दमन-नीति से दुःखित हुई प्रजा की पुकार सुन अनंगपाल को एक वार फिर देहली पर अधिकार करने की चेष्टा करनी पड़ी। परन्तु इस में उसे सफलता नहीं हुई।
फिर जब जयचन्द ने, वि. सं. ११४४ में, "राजसूय यज्ञ", और संयोगिता का "स्वयंवर" करने का विचार किया, तब पृथ्वीराज ने, उसका सामना करना उचित न समझ, उन कार्यों में विघ्न करने का दूसरा रास्ता सोच निकाला । इसी के अनुसार उसने पहले, खोखन्दपुर में जाकर, जयचन्द के भाई बालकराय को मारडाला, और बाद में संयोगिता का हरण किया। इससे जयचन्द को, लाचार होकर, पृथ्वीराज से युद्ध करना पड़ा । यद्यपि उस समय पृथ्वीराज स्वयं किसी तरह बचकर निकल गया, तथापि उसके पक्ष के ६४ सामन्तों के मारे जाने से उसका बल बिलकुल क्षीण हो गया । 'रासो' के अनुसार उस समय पृथ्वीराज की अवस्था ३६ वर्ष की थी। इसलिए यह घटना वि. सं. ११५१ में हुई होगी। ___ इसके बाद पृथ्वीराज अपने नवयुवक सामन्त धीरसेन पुंडीर की वीरता को देख उससे प्रसन्न रहने लगा। इससे कुढ़ कर चामुण्डराय आदि राज्य के अन्य सामन्त शहाबुद्दीन से मिलगये । परन्तु पृथ्वीराज को, संयोगिता में भासक
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