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मान्यखेट (दक्षिण) के राष्ट्रकूट
के चालुक्य सोलंकी - राज्य की स्थापना के साथ ही दक्षिण के की समाप्ति हो गयी ।
कलचुरी वंशी विज्जल के लेख में तैलप का राष्ट्रकूट राजा कर्कर ( कर्कराज द्वितीय), और रणकंभ ( रणस्तम्भ ) को मारना लिखा है । यह रणस्तम्भ शायद राज का रिश्तेदार होगा ।
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उपर्युक्त सोलंकी तैलप द्वितीय का विवाह राष्ट्रकूट भम्मह की कन्या जाकब्बा हुआ थाँ 1
से
'विक्रमाङ्कदेवचरित' ( सर्ग १ ) में लिखा है:
राष्ट्रकूट- राज्य
भदान से मिले, शिलारवंशी अपराजित के, श. सं. ११९ के ताम्रपत्र से और उसी वंश के रहराज के, श. सं. १३० के, ताम्रपत्र से भी कर्कराज के समय तैलप द्वितीय का राष्ट्रकूट राज्य को नष्ट करना सिद्ध होता है । यह अपराजित राष्ट्रकूटों का सामन्त था, परन्तु उनके राज्य के नष्ट होजाने पर स्वतंत्र बन बैठा था ।
( १ ) इण्डियन ऐबिटक्केरी, भा० ८, १०१५
( २ ) ऐपिग्राफिया इण्डिका, भा० ५ १०१५ (३) इण्डियन ऐण्टिकेरी, भा० १६, पृ० २१ (४) ऐपिग्राफिमा इण्डिका, भा०३, पृ० २७२ ( ५ ) ऐपिग्राफिया इण्डिका, भा० ३ १० २६७
विश्वम्भराकंटक राष्ट्रकूटसमूलनिर्मूलनकोविदस्य ।
सुखेन यस्यान्तिकमाजगाम चालुक्यचन्द्रस्य नरेन्द्रलक्ष्मीः ॥ ६६ ॥
अर्थात् - राज्यलक्ष्मी, राष्ट्रकूट राज्य को नष्ट करने वाले, सोलडी तैलप द्वितीय के पास चली आयी ।
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