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________________ जिन प्रतिमाके निंदकों को शिक्षा. (३९) आचारांग निशीथादिमे, भगवई पाठदिखाया है। हठ दृढ छोड देखे बिन तुमको, पाठ निजर नहीं आयाहै।सी०१५॥ धध्धा धर्म जैन नहीं तेग, धोका पंथ धकाया है । अपने आप बनाजो ढूंढा, लवजी आदि धराया है । बांधी मुखपर पट्टी सतरां, वीसमेंपारो' गाया है । सी० ॥ १६ ॥ नन्नानये कपडेको पसली, तीन रंग नंखाया है । [२] सूत्र निशीथमें देख पाठ तं, क्यौं इतना गभराया है ॥ इसी सूत्रमें देखले बाबत,रजोहरण क्या गाया है। सी. ॥ १७ ॥ पप्पा पंचकल्याणक जिनवर, जिन आगममें पाया है। इंद्र सुरासुर मिलकर उत्सव, करके अतिहर्षाया है। द्वीप नंदीश्वर भगवइ जंबू द्वीप पन्नती बताया है । सी० ॥ १८ ॥ फफ्फा फेर नहीं भगवतीमें, फांफा मार फिराया है । जंघा चारण विद्या चारण, मुनियों सीस निवाया है ।। नंदीश्वरमें कहांसें आया, जो ज्ञानका ढेर बताया है । सी० ॥१९॥ बब्बा बड़े बिबेकी देवा, दश वैकालिक गाया है । शुद्ध मुनिको सीस निमावे, नर गिनती नहीं आया है ।। तदपि ढूंढक ते देवनका, करना बोज बताया है । सी० ॥ २० ॥ ढूंढक क्यौं निंदता है ? । तुम कहोंगेकि बूढा रक्खे, तबतो सविस्तर प्रमाण दिखावो ? नहीं तो तुमेरा बकवाद मूढपणेका है ? ॥ (१) ढूंढनी पार्वतीजीने, अपनीज्ञानदीपिकामें लिखा है किसं. १७२० में, लवजीने मुहपत्तीको मुखपर लगाई, और ढूंढा नामभी पडा ? ॥ [२] निशीथ सूत्रमें -प्रमाण रहित रजोहरण [ ओघा ] रखनेवालोंको दंड लिखा है। हे भाई माधव ढूंढक ? तूं भी अपना रजोहरणका प्रमाण ढूंढ. किस वास्ते फोगट बकवाद करता है ? ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034587
Book TitlePratima Mandan Stavan Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarvijay
PublisherChunilal Chagandas Shah
Publication Year
Total Pages42
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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