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मन्त्र-तन्त्र
किन्तु इससे कुछ विशेष लाभ नहीं हुआ। वह मुझे छोड़कर उस कम्बल को दूसरा भूत समझकर उसो से भिड़ गया। एका. एक उसका पैर तम्बू के एक सूंटे से लड़ गया और वह लड़खड़ाकर गिर पड़ा। उसके बदन में ऐसी कमजोरी आ गई थी कि गिरतेगिरते वह तुरन्त बेहोश हो गया। मैं प्रतीक्षा करती रही कि अब उठे, तब उठे; लेकिन उसे फिर छेड़ने का मुझे साहस नहीं हुआ। कहीं कुछ और समझकर वह और अधिक न डर जाय, इस भय से मैंने थोड़ी ही देर के बाद उससे बिना कुछ कहे-सुने चुपचाप एक ओर का रास्ता लिया। ___ जब मैं उधर से मुड़ी तो रास्ते में याद आया कि पास ही की एक पहाड़ी पर लामा राबजोम्स ग्यात्सो रहते थे। मैंने सोचा, चलकर इन लामा महोदय को सब बातों की सूचना दो जावे। सम्भव है, वे किसी प्रकार इस मूर्ख, चोड्-साधक के प्राणों की रक्षा कर लें।
जब मैं उनके पास पहुंची तो वे पाल्थी मारे, ध्यानावस्थ बैठे थे। जैसे ही उनका ध्यान मेरी ओर आकृष्ट हुआ, मैंने उन्हें सब कुछ बताकर उनसे सहायता करने की प्रार्थना की। __उनके होठों पर थोड़ी देर के लिए केवल एक मुस्कराहट आकर लुप्त हो गई। ___ "तुम चोड़ के रहस्य से परिचित मालूम होती हो । जेसुन्मा, क्या यह बात सच है ?"
"जी हो।
वे फिर चुप हो गये। थोड़ी देर के बाद मैंने उन्हें अपनी बात की फिर याद दिलाई। उन्होंने कहा, "क्या तुम्हारे गुरु ने तुम्हें यह नहीं बताया था कि इस चोड़ के सम्भवतः तीन परिणाम हुआ करते हैं-रोग, प्रमाद या मृत्यु। थर्प ( परम मोक्ष ) अमूल्य वस्तु है और किसी अमूल्य वस्तु की इच्छा रखनेवाले
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