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प्राचीन तिब्बत सचमुच अनुभव कर रहा था। उसने अपने चारों ओर मुंह फेरकर देखा, फिर न जाने किसे सम्बोधित करके बातें करने लगा। सम्भवत: वह अपने सामने खड़े काल्पनिक भूतों को साफ देख रहा था। __ मेरी काफी दिलचस्पी हो रही थी, लेकिन बहुत देर तक केवल तमाशबीन की हैसियत से मैं देखती न रह सकी। मैंने सोचा यह बेचारा इसी यन्त्रणा में अपने को मार भी डालेगा। इसे बचाना चाहिए। __अस्तु, मैंने उसे जगा देने का विचार कर लिया, पर एक बात थी जो मुझे ऐसा करने से रोक रही थी। मैं जानती थी कि मेरे इस प्रकार बाधा देने से उसके काम में विन पड़ जायगा, अपने दिमाग़ से वह इसे कभी ठीक न समझेगा। सम्भव है, वह बिगड़ भी खड़ा हो। कुछ देर के लिए मैं इस उधेड़-बुन में पड़ गई। इसी बीच में नालजो फिर दर्द के मारे कराहा। ____ मैं अब रुक न सकी। दौड़कर उसके पास पहुंची लेकिन जैसे ही उसने मुझे देखा वैसे ही वह कूदकर और तनकर खड़ा हो गया और पागलों की तरह सर मटक-झटककर कहने लगा"श्रा, तू भूखी है। ले, मेरा मांस खा और मेरा खून पी।" ____ मैं अपनी हँसी रोक न सकी। दया के बजाय उसकी मूर्खता पर मुझे थोड़ा सा क्रोध ही आ गया । "चुप रहो", मैंने डॉटकर कहा, "बको मत; यहाँ कोई भूत-प्रेत नहीं है। देखो, यह मैं हूँ।" ___ मैंने जो कुछ कहा उसे शायद उसने सुना भी नहीं। वह उसी तरह बड़बड़ाता रहा।
मैंने सोचा कि मैं जो लबादा ओढ़े हुए हूँ, उससे शायद मेरे चुडैल होने का कुछ भ्रम हो जाता हो । इससे मैंने उसे उतारकर फेंक दिया और कहा, "लो पहचानो, मैं कौन हूँ ! औरत या चुडैल ?"
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