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प्राचीन तिब्बत पड़ता है। इनमें से कई कभी-कभी बड़े आपत्तिजनक निकल पाते हैं। तब हमारे प्राणों पर ही बन पाती है।"
भयानक गुप्त भोज वास्तव में इन पंक्तियों को पढ़कर पाठकों को हंसी नहीं आनी चाहिए और न किसी प्रकार का आश्चर्य ही प्रकट करना चाहिए । इससे कहीं बढ़कर भयानक और अद्भुत क्रिया "चोड्' होती है। "चोड्' का अर्थ होता है काट-काटकर फेंकना। इसे करनेवाला जो कुछ करता है अपने श्राप करता है और अकेला होता है। उसे न तो किसो की सहायता की आवश्यकता होती है और न किसी की शिक्षा को। और इसके करनेवाले का परिणाम होता है बीमारी, पागलपन या मृत्यु । इन तीन परिणामों के अपवाद बहुत कम सुने जाते हैं।
श्मशान या ऐसी ही कोई भयावनी जगह इस काम के लिए ठीक समझी जाती है। और अगर इस जगह के बारे में कोई डरावनी कहानी मशहूर हो या उसके पास हाल ही में कोई दुर्घटना हो गई हो तो इससे बढ़कर उपयुक्त स्थान दूसरा हो ही नहीं सकता।
'चोड्' एक प्रकार का रूपक है जिसमें, समझना चाहिए कि प्रारम्भ से अन्त तक एक ही पात्र होता है। चोड़ करनेवाले को
और अन्य पात्रों की अपेक्षा पहले अपना “पार्ट" भली भाँति समझ लेना होता है। उसे धार्मिक नृत्य के लिए आवश्यक अङ्गसञ्चालन को विधि सीखनी पड़ती है जिसमें एक नियम से पैर पृथ्वी पर पटके जाते हैं और साथ-साथ जादू का मन्त्र भी पढ़ा जाता है। फिर उसे कायदे के अनुसार दोर्जे और फर्ब को पकड़ने का ढङ्ग आना चाहिए और इसके बाद डमरू और आदमी
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