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मन्त्र-तन्त्र लामा ने कहा- "इस प्रकार जिनकी मृत्यु होती है वे लोग डर के मारे ही मर जाते हैं। उनका श्रम उनकी कल्पना-शक्ति का पैदा किया हुआ होता है। जो भूतों में विश्वास नहीं करता, वह कभी भूतों द्वारा मारा नहीं जा सकता।" ___ इसी लामा ने मुझसे एक बात और भी कही थी-"अगर कोई इस बात का पक्का विश्वास कर ले कि बाघ नाम का कोई भयानक जन्तु नहीं होता तो उसे इस बात का भी पूर्ण विश्वास हो जायगा कि बाघ उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। बाघ उसके सामने उस पर टूट पड़ने को तैयार हो, लेकिन वह निर्भय होकर ज्यों का त्यों अपनी जगह पर बैठा रहेगा। ___ "हम लोग स्वयं अपनी कल्पना-शक्ति से अपने भ्रम की उत्पत्ति करते हैं; जिस तरह की चाहते हैं उस तरह की वस्तुओं के
आकार निर्माण करते हैं। इनमें से कुछ हमारे लिए लाभकर होते हैं और कुछ हानिकर। हमें तर्क द्वारा इन कल्पना-निर्मित
आकारों पर अधिकार रखना चाहिए । ___ "एक उदाहरण से यह बात और स्पष्ट हो जायगी। एक
आदमी अपने झोपड़े में अलग रहता है। उस झोपड़े से कुछ दूरी पर एक नदी है। नदी में से निकलकर रेंगती हुई मछलियाँ उसके झोपड़े तक नहीं आ सकतीं। हाँ, अगर उस नदी से एक नाला निकालकर उसके झोपड़े तक लाया जाय तो पानी के साथ-साथ मछलियाँ अपने आप चली आवेंगी। ___ "इसी प्रकार नाले निकालकर हम अपने मस्तिष्क के पास तक असम्भव वस्तुएँ ले आ सकने में समर्थ होते हैं और हमें इन नालों के निकालने में अपनी सारी बुद्धि का सहारा लेना
* इन्हीं श्राकारों (तुल्प ) का वर्णन आठवें अध्याय में देखिए ।
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