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मन्त्र-तन्त्र
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लेकिन जादूगर लोगों को इस बात के लिए राजी कर लेना हँसी-खेल नहीं है। किसी को अपना चेला बनाने के पूर्व वे उसकी कठिन से कठिन परीक्षा लेते हैं । एक आदमी को, जिससे मेरी थोड़ी बहुत जान-पहचान थी, स्वयं एक ऐसी परीक्षा देनी पड़ी थी।
जिस गोमन् को उसने अपना गुरु बनाना चाहा था वह आम्हा का एक लामा था। उसने इस आदमी को सीधे एक सुनसान भयावने टीले की ओर रवाना किया। एक भूत इस टोल पर रहा करता था । यहाँ पहुँचकर अपने को एक पेड़ से बाँधकर इसी भूत को ललकारने का उस आदमी को आदेश था । चाहे कितना भी भय उसे लगे, किन्तु उसका काम बराबर २४ घण्टे तक वहीं बँधे खड़ा रहना था। न तो उसे अपने छुड़ाने की बात ध्यान में लानी चाहिए थी और न वहाँ से भागने की ।
साधारणतः चेलों की पहली परीक्षा यही हुआ करती है। हाँ, कभी-कभी चेलेराम को एक दिन के बजाय तीन दिन और तीन रात तक बराबर बिना खाये पिये, नींद और थकावट को दूर करके वहीं बँधे खड़े रहना पड़ता है। ऐसी शारीरिक दशा और मानसिक अवस्था में स्वाभाविक तौर पर पत्ता तक गिरने से ऐसा मालूम होगा कि भूत आ गया और मनुष्य डर जायगा — यह हम आसानी से समझ सकते हैं ।
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एक दूसरे लामा ने अपने शिष्य को इसी भाँति एक जंगल में भेजा, जहाँ कोई थाग्स यांग नाम का दानव रहता था। चीते के रूप में अचानक प्रकट होकर जङ्गल में चरते हुए पशुओं को मारकर खा जाने की इसकी आदत थी ।
जङ्गल में पहुँचकर एक पेड़ से बँधकर शिष्य को अपने की एक गाय समझ लेना था । गाय ही की आवाज़ में उसे रह-रह
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