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मन्त्र-तन्त्र
बातें मालूम हुई। उसका कहना था कि उसने स्वयं इस क्रिया का अभ्यास किया था। ___ इस क्रिया का साधक एक अंधेरे कमरे में लाश के साथ बन्द हो जाता है। उसमें आत्मा बुलाने के लिए वह उस पर सीधा लेट जाता है। उसका मुँह लाश के मुंह के ठीक ऊपर होता है और वह लाश को, दानों हाथों में कसकर, पकड़े रहता है। और सब विचारों को एकदम दूर करके वह एकाग्र चित्त मं मन्त्र का जाप शुरू करता है।
कुछ देर के बाद लाश हिलने लगती है और उठकर खड़ी हो जाती है तथा छुटकाग पान को चेष्टा करती है। साधक उसे कसकर पकड़े रहता है। लाश अब पूरी कोशिश करके छूटना चाहती है; साधक को भी अपना पूरा जोर लगाना पड़ता है। वह लाश के ऊपर अपने ओठों को रक्खे हुए बराबर चुपचाप मन्त्र को दुहराता रहता है और लाश उसके चंगुल से छूटन के लिए कमरे की छत तक की ऊँचाई तक कूद-फाँद मचाती है। ___अन्त में लाश की जीभ उसके मुंह के बाहर निकल पड़ती है। यही ठीक अवसर होता है। साधक अपने दाँतों से उस जीभ को पकड़कर काट लेता है। लाश तुरन्त नीचे गिर पड़ती है। इस जीभ को सुखाकर पास रख लेते हैं और जिसके पास यह रहती है उसकी चमत्कार करने की शक्तियाँ कई गुनी बढ़ जाती हैं। ___ लेकिन इस नाचती हुई लाश को वश में रखना बड़ा कठिन काम है। इस काम में थोड़ा भो चूकने पर मृत्यु अवश्यम्भावी है। ____ मुझे जिस नालजोपा ने ये सब बातें बतलाई उसने यह भी कहा कि उसके पास एक ऐसी जीभ थी। मैंने उसे देखने को माँगा। जो कालो-काली चीज़ मुझे दिखाई गई वह जीभ हो सकती थी
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