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प्राचीन तिब्बत
"बोधिसत्त्व अनेक सूक्ष्म शरीर धारण कर सकता है। मस्तिष्क को सम्पूर्ण रूप से एकाग्र करके वह एक ही समय में भिन्न स्थलों पर भिन्न तुल्प (सूक्ष्म) उपस्थित कर सकता है। वह केवल आदमी का आकार ही नहीं बल्कि पहाड़ी, वन, घर, सड़क, कुआँ, पुल - जिसका रूप चाहे ले सकता है। उसकी इस प्रकार की सृजन करने की शक्ति अपार है ।"
मरते समय प्रायः लामा बतला देता है कि अमुक देश या प्रान्त में मैं फिर जन्म लूँगा । कभी-कभी वह अगले जन्म के मातापिता का नाम, घर में दरवाजे और दिशा का भी पता दे देता है ।
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कायदे के अनुसार इसके दो साल के बाद लोग इसकी जाँचपड़ताल करते हैं कि मरे हुए लामा ने फिर कहाँ जन्म लिया। पता लग जाने पर लोग उस बच्चे के सामने तरह-तरह की वस्तुएँ, मालाएँ, किताबें, चाय के प्याले* आदि लाकर रख देते और उनमें से अगर वह मृत लामा को चीजों को चुन लेता है तो उसके लामा तुल्कु होने में कोई सन्देह नहीं रह जाता, क्योंकि वह अपने पिछले जन्म की चीजों के पहचानने का पक्का प्रमाण दे रहा है।
कभी-कभी ऐसा होता है कि बहुत से लड़के एक साथ ही किसी लामा के तुल्कु बनने के उम्मीदवार होते हैं । यह तभी होता है जब सभी लड़कों में पहचान के कोई न कोई चिह्न होते हैं। हर एक स्वर्गीय लामा को कोई न कोई चीज़ उठा लेता है; या तब जबकि दो तीन निर्णायकों में इस विषय में मतभेद हो जाता है कि कौन असली तुल्कु है ।
* हर एक तिब्बती का - चाहे वह गरीब हो या अमीर — अपना एक अलग प्याला होता है जिसे वह कभी दूसरे को नहीं देता ।
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