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प्राचीन तिब्बत और यही गुम्बा में लोगों का प्रवेश करता, छुट्टी देता या किसी को बाहर निकाल सकता है। बहुत से और कर्मचारी इसके मातहत कार्य करते हैं। ये सभी पदाधिकारी बड़े-बड़े लबादे पहनकर और हाथ में मूंगे से जड़ी चाँदी की भारी छड़ियाँ लेकर बड़ी शान से निकलते हैं। पुलिस के ये सिपाही 'डबडॅब' कहे जाते हैं। हट्टे-कट्टे बदनवाले अनपढ़ उजडु लोग, जिन्हें बचपन में उनके माता-पिता ने भूल से गुम्बाओं में भरती करा दिया था, इस पुलिस में आ जाते हैं।
इन विचित्र सिपाहियों की बहादुरी के सबसे बड़े तमगे धूल और मैल हैं। एक सच्चा वीर कभी हाथ-मुँह धोने की गलती नहीं करता। अगर अक्ल ने और ज़ोर मारा तो वह कड़ाह के नीचे जमे हुए चिकने काजल से अपने चेहरे को काला करके बिल्कुल अफ्रीका का हबशी ही बन जाता है। _ 'डबडब' के शरीर पर फटे चिथड़ों के अलावा समूचे कपड़े कठिनता से देखने में आते हैं। इसकी वजह कभी-कभी ग़रीबी होतो है; लेकिन अक्सर वह अपने कपड़े जान-बूझकर फाड़ डालता है। वह सोचता है कि ऐसा करने से लोग उसे देखकर
और ज्यादा रोब मानेंगे। नया कपड़ा बदन पर पड़ते ही ये उसे मक्खन की चिकनाहट और धूल की मदद से अपने मन मुश्राफिक बना डालते हैं। इनके हाथ-मुँह पर भी मैल की तहें जमी रहती हैं।
इन अधिकारियों के अतिरिक्त गुम्बाओं में एक श्रेणी उन लोगों की अलग होती है, जिन्हें लामा तुल्कु कहते हैं। लामा धर्म में तुल्कु लोगों का एक विशेष स्थान है; क्योंकि बौद्ध धर्म की और किसी शाखा में इस प्रकार के लोगों की कोई संस्था नहीं है।
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