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प्राचीन तिब्बत थे। ये लोग कितने भले थे। चीनी लोग कैसे बहादुर, शिष्ट और सभ्य होते हैं। मैंने देखा और समझा कि हर एक देश में और प्रत्येक जाति में अच्छे और बुरे लोग होते हैं। ___अन्तत: मैं किसी तरह से इस आपत्ति-पूर्ण प्रदेश से बाहर हुई। एक दिन वह भी आया, जब मैंने अपने को सही-सलामत
आम्दो में पाया। मैंने परमात्मा को धन्यवाद दिया। कमबम का विहार......और एक बार फिर मैंने अपने को तिब्बती वातावरण से घिरा हुआ पाया।
-बुद्धदेव को नमस्कार है। देवों की भाषा और सर्यों की भाषा में, दनुजों की भाषा में, मनुजों की भाषा में,
और संसार की समस्त भाषाओं में धर्म का प्रचार हो ।
मेरे सामने कमबम का विहार था, जिसके बड़े कमरे की छत के ऊपर छोटे-छोटे लड़के खड़े हुए कुछ मन्त्रों का पाठ कर रहे थे। एकाएक उन सबों ने एक साथ अपने अपने शंखों को मुंह से लगाकर फूंकना प्रारम्भ किया। थोड़ी ही देर के बाद पास की सड़कों में बहुत से लोगों के पैरों की आवाज सुनाई पड़ी। जल्दी से अपने-अपने जूते निकालकर ये लोग विहार के भीतर घस गये। सबेरे की पूजा-अभ्यर्थना के लिए तैयारी हो रही थी। बड़ो गुम्बाओं में इकट्ठहुए लामाओं की संख्या सैकड़ों तक पहुँचती है। ___ऊंची छत से, लम्बे खम्भों और प्रवेश-द्वार पर बहुत सी तस. वीरें बुद्धदेव और बोधिसत्त्वों की लटक रही थीं। और भी कई देवी-देवताओं के चित्र यत्र-तत्र दिखलाई पड़ रहे थे। ____ कमरे के भीतर भूमि पर स्थापित पिछले बड़े लामाओं को मनोहर मूर्तियाँ और सोने-चाँदी के डिब्बे, जिनमें उनकी राख सुरक्षित रक्खो हुई थी, मक्खन के दियों के सामने चमक रही थीं।
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