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प्राचीन तिब्बत ___वह घोड़े के पास गया, उसे चुमकारा, उसकी पीठ थपथपाई
और चढ़ने को कूदा, लेकिन उसके पैर रिकाब में नहीं पड़े। घोड़े ने उसे लात मारी और वह दन से नीचे आ गया। उसका भाग्य मुझसे भी ज्यादा खोटा था और वह चट्टान पर चारों खाने चित्त गिरा।
कुछ लोग उसके पास दौड़े और कुछ मेरे पास आये। "आप जल्दी से जल्दी गङ्गटोक लौट जाइए, गोमछेन तक जाने का विचार छोड़ दीजिए। यह सब उसी की शैतानी है। वह आपको अपने पास तक नहीं आने देना चाहता है और इसी से यह सब अशकुन हो रहे हैं।"
इसके दो दिन बाद मुझे लेने के लिए गोमछेन ने एक बढ़िया घोड़ी भेजी। उसने मेरी इस दुर्घटना का हाल किसी से सुना होगा।
मुझे चलने में कुछ देरी हो गई थी। शाम होते-होते गोधूलि के धुंधले प्रकाश में मुझे कुछ झण्डियाँ दिखाई दी। यहीं मुझे पहुँचना था। आधी दूर आगे आकर लामा ने मेरा स्वागत किया और न जाने किन घूमघुमाववाले और पेचादे रास्तों से होता हुआ वह मुझे अपने निवासस्थान से एक मील दूर नीचे की एक गुफा में ले गया। यहाँ मक्खन मिली हुई चाय और आग की अंगीठी तैयार मिली। मेरे और योङ्गदेन के सोने का प्रबन्ध हो जाने पर लामा मेरे नौकरों को अपनी गुफा के पास की एक झोपड़ी में रहने के लिए लिवा ले गया।
समय पाकर मैंने लामा से प्रार्थना की कि मुझे अपना शिष्या बनाकर अपने पास रख ले लीजिए और मेरे ऊपर कृपा करके मेरे भी ज्ञानचक्षु खोलिए।
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