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प्राचीन तिब्बत
जो मठ देखे हैं, उनमें कुछ नहीं है। यदि आप स्वतन्त्रतापूर्वक तिब्बत में नहीं घूम सकतीं तो कम से कम चोर्टेन नाइमा ही हो आइए । वहाँ की गुम्बा से आपको कुछ-कुछ अन्दाजा लग जायगा कि तिब्बती विहार किस प्रकार के होते हैं ।"
तिब्बती लोगों का कहना है कि चोटेंन नाइमा के इर्द-गिर्द कोई १८० चोर्टन और इतने ही पहाड़ी सोते होंगे। लेकिन ये सबके सब हमारी धूल भरी आँखों से दिखलाई नहीं देते । जहाँ ये स्रोत पृथ्वी में से फूटते हैं वहीं के जल का आचमन करके किसी भी अलभ्य से अलभ्य वस्तु की इच्छा प्रकट की जाय तो वह सहज ही में प्राप्त हो सकती है ।
प्राचीन किंवदन्ती के अनुसार टवीं सदी में तिब्बत के धर्मगुरु पद्मसम्भव ने चोर्टेननाइमा के आसपास कहीं सैकड़ों हस्तलिखित पुस्तकें इसलिए छिपाकर रख दी थीं कि इनमें लिखी हुई बातें अपने समय के बहुत पहले की थीं। महागुरु ने पहले से ही जान लिया था कि आज से सैकड़ों वर्ष बाद लामा लोग इन्हें खोज निकालने और इनका असली तत्त्व समझने में समर्थ हो सकेंगे । सुनते हैं, अनेक लामा अरसे से इन्हीं ग्रन्थों की खोज में लगे हैं और इनमें से कई प्राप्त भी हुए हैं।
चार्टेन नाइमा में मेरे देखने में सिर्फ चार देवदासियाँ (अनी ) आई । तिब्बत में बहुत सी विचित्र बातें देखने-सुनने में आती हैं, लेकिन इस देश की स्त्रियों की बहादुरी पर तो मुझे बहुत ही अचम्भा हुआ। बहुत कम योरपीय स्त्रियाँ इनकी भाँति सुनसान रेगिस्तानों में ४,४ या ५५ की संख्या में या कभी-कभी अकेली ही रहने को तैयार होंगी। यहाँ की स्त्रियाँ इतनी साहसी होती हैं कि वे हिंस्र पशु और डाकुओं से घिरे हुए जंगलों से होकर बेखटके यात्रा करती हैं।
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