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लामा लोगों का आतिथ्य "चेतनाएँ" हुआ करती हैं। लेकिन हम लोगों की ही तरह इन जीवों की चेतनाशक्तियों का एक ही परिणाम नहीं हुआ करता। जीवित प्राणी कोई एक ही वस्तु नहीं बल्कि कई भौतिक तत्त्वों का मिश्रण है। किन्तु ये सब बातें तो बड़ी गूढ़ हैं। इन्हें समझने के लिए किसो योग्य लामा के पास कुछ समय तक रहकर थानायदा शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए।"
मेरे बेढङ्ग सवालों का सिलसिला प्रायः इसी युक्ति से लामा काट दिया करता था। ____ एक दिन शाम को सिक्योंग तुल्कु, दालिंग लामा और मैं बैठेबैठे बातें कर रहे थे। करामाती साधुत्रों के बारे में जिक्र छिड़ा था। जिस श्रद्धा और अभिमान के साथ गोमछेन अपने गुरु लामा की सामर्थ्य और अद्भुत शक्तियों का बखान कर रहा था उसका प्रभाव लामा तुल्कु पर, मालूम होता है, गहरा पड़ा।
उस समय नये महाराजा का मस्तिष्क चिन्ताओं से खाली नहीं था। एक बिरमा राजकुमारी के साथ उनके ब्याह की बातचीत चल रही थी। इसी के बारे में उन्हें बड़ी फिक्र थी। ____ "शोक है कि इस बड़े नालजोपा से मैं किसी तरह मिल नहीं सकता" उसने मुझसे अँगरेजी भाषा में कहा, "सचमुच, उसकी राय मेरे लिए बड़ी लाभकारी होती।"
और गोमछेन की ओर मुड़कर उसने तिब्बती में कहा--"क्या बताऊँ, तुम्हारे गुरु यहाँ हम लोगों के बीच में नहीं हैं। मैं सच कहता हूँ, मुझे ऐसे ही किसी अन्तर्यामी सिद्ध महापुरुष को बड़ी आवश्यकता थी।"
किन्तु उसका काम किस प्रकार का था, किस विषय में उसे सलाह की आवश्यकता थी, यह सब उसने कुछ नहीं प्रकट किया।
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