________________
२१
तिब्बत के लामा दोनों लड़कों को गोद में बैठाकर स्त्री धूप खा रही है और उसके चौपाये खेतों में चर रहे हैं। पाग्दजिन को डराने के लिए ही हमने यह कहानी गढ़ ली है ताकि वह फिर इधर घूमकर देखने का भी नाम न ले।" __मरने के बाद इस लोक में जन्म लेने के पूर्व कुछ समय तक
आत्माएँ प्रेतलोक में घूमती रहती हैं। इनके बारे में कभी-कभी इनके परिवार के लोगों को बुरे-बुरे स्वप्न भी दिखलाई पड़ते हैं। इसका अर्थ यह समझा जाता है कि आत्मा बेचारी शैतान के चक्कर में पड़ गई है और उसे बड़ी-बड़ी यातनाओं और विपत्तियों का सामना करना पड़ रहा है। सम्बन्धी लोग तत्काल ही किसी चतुर 'पावो' को सहायतार्थ बुला भेजते हैं। वह पाता है और मन्त्र का पाठ करना प्रारम्भ कर देता है। धीरे-धीरे वह नाचने लगता है। पहले धीरे-धीरे, फिर तेज और फिर और तेजी से । साथ-साथ डमरू बजता रहता है और घण्टे को ध्वनि होती रहती है। नाचते-नाचते उसको दशा पागलों की सी हो जाती है और तब बस उसके शरीर के भीतर भूत आ जाता है। वह अस्फुट स्वर में कुछ कहना शुरू करता है, जिसे लोग बड़ी सतर्कता के साथ सुनते हैं। ऐसा विश्वास किया जाता है कि इसी साधन (मीडियम) के द्वारा मृत आत्मा जो कुछ सन्देश कहना चाहती है कहती है-"रास्ते में एक दैत्य से मेरी मुठभेड़ हो गई। वह मुझे अपना दास बनाकर अपनी गुफा में घसीट लाया है। दिन भर मुझसे कड़ी मेहनत लेता है। वह बड़ा कठोर है और मेरी बड़ी दुर्गति करता है। ईश्वर के लिए मुझ पर दया करके मुझे इस शैतान के चंगुल से छुटकारा दिलाओ, ताकि मैं जल्दो ही बाको रास्ता तै कर डालू ......आदि।"
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, kurnatumaragyanbhandar.com