________________ 182 प्राचीन तिब्बत बहुतों का विश्वास है कि इसके बाद कहीं किसी ने लामा रिम्पोछे को नहीं देखा। जब मैंने इस घटना का वृत्तान्त सुना तो शिगात्ज जाकर असलियत का पता लगाने के लिए मेरी बड़ी प्रबल इच्छा हुई। लेकिन उस समय मैं ल्हासा में छद्मवेश में रहती थी। शिगात्ले में बहुत से लोगों से हमारी जान-पहचान थी। वहाँ इस अवसर पर मेरा और योङ्गदेन-दोनों का जाना असम्भव था। अपने कसली लिबास में प्रकट होने के माने थे फौरन से पेश्तर तिब्बती सीमा के लिए रवाना हो जाना, और हम ल्हासा से साम्ये और दक्षिणी तिब्बत की बहुत सी गुम्बाओं को देखने जान चाहते थे / यारलङ प्रान्त के इतिहास-प्रसिद्ध स्थलों को देख आने की भी बड़ो उत्कट अभिलाषा हो रही थी। अस्तु, हम शिगात्ज़ जाने का विचार बदलना ही पड़ा। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, unatumaragyanbhandar.com