________________
प्राचीन तिब्बत जिनसे टेलोपेथी और अन्य विस्मय-पर्ण मानसिक व्यापारों के लिए अधिक सुभीता सा है। ये खास-खास बातें क्या हैं ?
इन्हें पृथक-पृथक् भागों में बाँटना और उनके बारे में कोई निर्धारित नियम बता देना तो असम्भव सी बात है। जबकि इस अध्याय में वर्णित मनोयोग से सम्बन्ध रखनेवाली चामत्कारिक घटनाएँ ही हमारे लिए केवल विस्मय-जनक हैं तो हम उनके कारणों का ठीक-ठीक पता लगाने में भला कब समर्थ हो सकते हैं ?
हो सकता है कि इसका सम्बन्ध इस देश की उँचाई से हो। सम्भव है यहाँ का अगाध शान्ति-सागर, जिसमें कि सारा का सारा तिब्बत डूबा हुआ है-वह असाधारण निःशब्द शान्ति जिसका शब्द-मैं कह सकती हूँ कि-बड़े से बड़े कोलाहल-पूर्ण पहाड़ी झरनों की ऊँची से ऊँची आवाज़ के ऊपर भी आसानी से सुनाई पड़ता रहता है, कोई खास सुविधा पैदा कर देती हो।
इसके लिए हमें यहाँ की नि:स्तब्धता पर भी ध्यान देना होगा। यहाँ की सड़कों पर और देशों की भाँति बड़ी-बड़ी भीड़ें जमा नहीं रहती हैं जिनके मानसिक विचार किसी न किसी रूप में ईथर (वायु) की शान्ति को भङ्ग करते रहते हों। इसके अतिरिक्त तिब्बतियों का सीधा-सादा मस्तिष्क भी, जो हमारे मस्तिष्क की भाँति तरह-तरह की चिन्ताओं और विचारों से भरा हुआ नहीं रहता, जरूर कुछ न कुछ अपना प्रभाव डालता ही होगा।
जो कुछ भी हो, इसमें कोई सन्देह नहीं कि यहाँ के आदमियों की जानकारी में या अनजाने में ही इच्छाशक्ति और मनोयोग से सम्बन्ध रखनेवाली घटनाएँ प्रायः घटती रहती हैं। ___ जब मैं ल्हासा की यात्रा कर रही थी तो डेनशिन नदी को घाटी में मुझे टेलीपेथी की शक्तियों का प्रत्यक्ष प्रमाण भी देखने को मिला था। चोस्द-जौंग की गुम्बा के एक लामा ने जिस ढङ्ग से
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, kurnatumaragyanbhandar.com