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इच्छा-शक्ति और उसका प्रयोग ११९ छोटो जो मटर और सरसों के दानों के बराबर थीं; लुढ़कती और चक्कर मारती हुई गिरी । उस बार बर्फ खब जोरों से गिरी। बहुत ऊपर के पहाड़ी सोते ओलों से भर गये; नीचे वनों में सब पेड़ नीचे से ऊपर तक ढंक गये । घरों में आदमी बन्द हुए पालतू जानवर भूख से मर गये दरिन्दों और परिन्दों ने उपवास किया; चूहे धरती के नीचे गड़े खज़ाने बन गये । बर्फ, सर्द हवा और मेरा पतला सूती कपड़ाइन तीनों में सफेद पहाड़ी पर परस्पर एक युद्ध हुआ। बर्फ मेरे शरीर पर पड़ते ही पिघलकर बह गई; मेरे पतले सूती कपड़े में अग्नि की गरमी थीउसे छूकर गरजती हुई हवाएँ चुप हो गई। घण्टों तक यह तुमुल-युद्ध होता रहा फिर मेरी विजय हुई। मेरे पीछे आनेवाले अनेक संन्यासी हैं; उनके लिए मैं 'त्यूमो' का यह महान् चमत्कार छोड़ता हूँ।
समुद्र से कोई १८००० फट की ऊँचाई पर एक बर्फीली गुफा में केवल एक पतला सूती वस्त्र पहनकर या करीब-करीब बिल्कुल नंगे बदन सारा जाड़ा काट देना और फिर भी जीते बचे रहना कोई मामूली बात नहीं है। फिर भी अनेक तिब्बत-निवासी हर साल अपनी खुशो से इस कठिन कर्म में प्रवृत्त होते हैं। उनकी इस सहन-शक्ति का आधार वही 'त्यूमो' है जिसके चामत्कारिक गुणों की प्रशंसा ऊपर मिलारस्पा ने स्वयं को है।
* रेस्क्याङ् ।
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