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पुराने धर्म-गुरु और उनकी शिष्य परम्परा १०५ देवी शक्तियाँ उसे यहाँ तक ले आई थीं और इस वृद्ध पुरुष के अतिरिक्त संसार का कोई व्यक्ति उसका गुरु नहीं हा सकता था। यही नहीं. कभी-कभी घबराकर कर्मा दोजे आत्महत्या तक की बात भी सोचने लगता। ___ इसी बीच में उसके गुरु के रितोद् में उसका एक भतीजा पहुँचा। भतीजा किसो बड़ी गुम्बा का लामा तुल्कु था। उसके साथ-साथ उसके और भी नौकर-चाकर थे और वह बड़े ठाठ-बाट से आया था। उसकी निगाह एक रोज़ कर्मा पर भी पड़ी। उसने उससे पूछा कि वह दिन भर अंगीठी के पास आलसियों सा क्यों पड़ा रहता है और कोई काम-धाम नहीं करता।
कर्मा दोर्जे प्रसन्नता से पागल हो उठा । अन्तत: उसके भाग्य फिरे। शायद अब उसके ऊपर देवताओं की कृपा-दृष्टि हुई है और उन्होंने इस लामा तुल्कु के रूप में उसका एक सच्चा हितैषी भेजा है।
उसने साफ-साफ़ अपना सारा कच्चा चिट्टा लामा तुल्कु से कह सुनाया और उससे अपने चाचा से सिफारिश कर देने की प्रार्थना की। ___ इसके बाद बहुत दिनों तक कुछ नहीं हुआ और वह दिन भी आया, जब लामा तुल्कु अपनी गुम्बा को वापस लौटने की तैयारी करने लगा। कर्मा का दिल बैठ गया। उसकी प्रार्थना पर तुल्कु ने भी ध्यान नहीं दिया। चचा-भतीजे दोनों एक से निकले......पर जाने के पहले लामा तुल्कु ने कर्मा दोर्जे को अपने पास बुलाया और कहा,-"देखो, मैंने कुशोग रिम्पोछे से तुम्हारे बारे में जिक्र किया था। उन्होंने उत्तर दिया है कि जिस जादूगरी की विद्या का तुम सीखना चाहते हो उसको किताबें उनके रिताद् में नहीं हैं : इस विषय की बहुत सी पुस्तकें हमारी गुम्बा
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