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प्राचीन तिब्बत ___ कर्मा दोर्जे ने अपनी गुम्बा छोड़ दी और एक ओर कहीं जंगलों में निकल गया। एक ऊंची पहाड़ी पर पहुँचकर एक सोते के निकट उसने रेसक्यांग्पा* लोगों को नकल करने के लिए अपने सब कपड़े उतार फेंके और बड़े-बड़े बाल बढ़ा लिये। आस-पास के लोग, जो उसे कभी कभी कुछ सामान देने आ जाया करते थे. जाड़ों में भी कर्मा को उसो प्रकार पालथी मारे नंगे-बदन ध्यानस्थ देखा करते थे। ___ कर्मा दोर्जे थोड़ी-बहुत जादूगरी जानता था। उसको यह भी पता था कि उसे अपने लिए एक योग्य गुरु की आवश्यकता है, लेकिन भूत प्रेत आदि में उसका बहुत बड़ा विश्वास था। उसे मिलारस्पा की जीवनी का हाल मालूम था, जिसने इन्हीं की सहायता से एक बार अपने शत्रुओं के ऊपर एक पूरा का पूरा मकान ही गिरा दिया था। उसने एक क्यिलक-होर ( जादू का चौक ) खींचा और उसी पर ध्यान गड़ाकर इस आशा में बैठ गया कि तौवा लोग स्वयं प्रकट होकर उसे एक योग्य गुरु के पास तक पहुँचा देंगे। ___ सातवें रोज रात को एकाएक पास के पहाड़ी सोते में बहुत सा पानी भर गया और वह बढ़ चला। उसके उस तेज़ प्रवाह में कर्मा, कर्मा का क्यिलक-होर और जो कुछ उसका थोड़ा-बहुत सामान था वह सब का सब बह गया। भाग्यवश का डूबते. डूबते बचा। जल के प्रवाह के साथ बहता-बहता कर्मा एक घाटी में लगा जहाँ जाकर सोता समाप्त होता था।
* वे नालजो जो त्यूमो की विद्या जानते हैं। खाली एक पतला सती कपड़ा 'रेस क्यांग' पहनते हैं या एकदम नंगे-बदन ही रहते हैं। देखिए छठा अध्याय ।
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