________________
(११) the Bhāwalpur state, where Johiyāwār still bears the stamp of their names.........
યૌધેયને પ્રદેશ (નાગલકોના પ્રદેશની) બરાબર ઉત્તરે આવ્યું હતું. તેને વિસ્તાર ભરતપુરથી માંડીને ભાવલપુરની સીમા ઉપર સતલજના નીચેના પ્રવાહ સુધી જતે હતે. જોહીયાવાર હજી સુધી તેમના નામના સ્ટેપ ધારણ अरे छे. 'लेडीयावार' (डासन) यौधेय नामनुसूय: छे.
History of India' by Jayswal P. 147-48 (४) रुद्रदामा कहता है कि सब क्षत्रियों में वीर प्रसिद्ध हो जाने के कारण उनके (यौधेयों के) दिमाग फिर गये थे, और वे अविधेय थे, किसी के काबू न आते थे।
भारतीय इतिहास की रूपरेखा जि. २, पृ. ८६० (५) यौधेय-बहुत प्राचीन काल में यौधेय जाति भी भारत के पश्चिमोत्तर प्रान्त में रहती थी। इ. १५० के गिरनार के शिलालेख से पता चलता है कि महाक्षत्रप रुद्रदामाने 'क्षत्रियों' में वीर की उपाधि धारण करने वाले यौधेयों को परास्त किया था। बृहत्संहिता में गान्धार जाति के साथ यौधेय लोगों का भी उल्लेख है।
___ भरतपुर राज्य के विजयगढ़ नामक एक स्थान के शिलालेख में यौधेय लोगों के आधिपति — महाराज महासेनापति ' उपाधिधारी एक व्यक्ति का उल्लेख है।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com