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भाषाटीका सहिता ।
( २३ )
कर्क
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राशि आवे उसका स्वामी नवांशका स्वामी होता है [ मेष | मकर | तुला द्वादशांशके स्वामी लपनी राशि से जानना ( ग्रह जिस राशि का हो उसी राशिसे जितनी संख्याके द्वादशांशविभाग में ग्रह हों उतनी संख्यापर्यंत गिननेसे जो राशि आवे उसका स्वामी
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५ । ५। ८ । ७ । ५ त्रिंशांश के स्वामी कहे हैं स्वामी जानना ऐसे ही इसके आगेके ८ अंश
द्वादशांशका स्वामी होता है ) | और विषमराशिमें इन अंशोंके मंगल, शनी, गुरु, बुध, शुक्र, क्रमसे अर्थात् विषम राशिम ५ अंशपर्यंत भौम त्रिंशांशका इन ५ अंशों के आगेके ५ अंशका स्वामी शनी
नवांशविभाग |
द्वादशविभाग |
१ |२| ३ | ४ |५|६ / ७ ८ ९
३ | ४ | ५ ६ ७ ८ ९ १० ११ १२
३ ६ १० १३ १६ २० २३ २६ ३० २ ५ ७ १० १२ १५ १७ २० २२ २५ २७३२० ४०० २० ४०० २० ४० ० ३०] ०
३०० १३०० |३०|०
० ३००
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५
५ ८ ७५ अंशाः
उ.
मं. अ. गु. व शु. विषमराशी. ञ. बु. गु. झ. मं. समराशी में ५७ ८ ५५
अंशाः
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का स्वामी गुरु फिर इसके आगेके ८ अंशका स्वामी बुध इसके आगेके ५ अंशका स्वामी शुक्र त्रिंशांशका स्वामी जानना, और समराशिमें उक्त त्रिंशांशके स्वामी विलोम (उलटे ) कहे हैं ( ५ शु० ७ बु० ८ गु० ५ श ० ५ मं० ) ये छही वर्ग कमसे उत्तरोत्तर बलवान जानना ( ग्रहसे होरा बलवान होरासे द्रेष्काण द्रेष्काणसे नवांश नवांशसे द्वादशांश, द्वादशांश से त्रिशांश अधिक बलवान्न जानना ) चार ४ से अधिक वर्ग शुभग्रहके आवे तो शुभ समझना ॥ २० ॥
अथ सप्तवर्गसाधनमाह
नगांपास्त्वोजगृहे तदीशाद्युग्मे गृहे सप्तमराशिपात्तु ॥ पूर्वोक्तवगैः सहितो नगांशः स्युः सप्तवर्गा सुनिभिः प्रदिष्टाः ॥ २१ ॥
अब सप्तवर्गसाधन कहते हैं - विषमराशिमें अपनी राशिके स्वामीसे सप्तमांश के स्वामी जानना और समराशिमें अपनी राशिसे सप्तम राशि ( सातवी
१ तीस अंशके १२ भांगको द्वादशांश कहते हैं एक द्वादशांशविभाग अढाई औडका होता है ।
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