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________________ मुक्त थइ गइ छे ते डांगर एटले व्रीहर्नुि अजने बदले बलीदान देवु एमप्रख्यात पंडित दयानंदजी सरस्वति जेवा महात्माओअर्थ करे छे-"यज्ञंकृत्वा पशून् हत्वा कृत्वा रुधिरकर्दमम्" इ. वचनोथी समजबुं के पशुने मारे लोहीनो कादव करे तेवडे स्वर्ग मळतुं होय तो दान-पुण्य वगेरे कर्मोनी शी जरुर रहे ? मतलबके ज्यारे यज्ञमां पशु हिंसा करवा शास्त्रो सम्मत नथी, त्यारे दशराने दिवसे पाडानो वध ए रूढि पौराणिक मार्गे प्रवेश थयेली, कदि वेदोक्त के स्मृत्युक्त शास्त्रसंपन्न होय ज नहीं. "दशशिरहरा इति दशरा"दश शिरनो रावण रामे मार्यो ते दशरा. पाडो बिचारो क्यां रावण ठरे ? नाहक अवाचक बिचारां प्राणीनी हिंसा छे. मान्य स्मृतिमां मनु- प्रबल सर्व मान्य वचन छे केः अहिंसा परमोधर्मः हिंसा न करवी ए मोटो धर्म छे ए मुजब सामान्य विवेचन करी प्रश्नना क्रमवार जवाब नीचे मुजब टुकामां आप्या छे. (१) देवी भागवत तथा दुर्गा सप्तशती ( चंडीपाठ ) ए ग्रन्थोमां पशु हिंसानां वचनोनो आधार छे. स्मृति-श्रुति ग्रन्थोमां आधार नथी. (२) उपरना ग्रन्यो शक्तिपंथी ( वाम मार्गी ) सांप्रादायीओमां फक्त मान्य ग्रन्थो छे. एटले ते अमुक पन्थना ठर्या माटे सर्व मान्यके बहु मान्य न कहेवाय. (३) एकादश भागवत-मनुस्मृति-बृहदारण्यक उपनिषद् वगेरे ग्रन्थोमां हिंसा निषेधना घणांक वचनो छे. (४) निर्णय सिन्धु अने हेमाद्रि ए ग्रन्थोमां ए पर्वने दिवसे राजाने ए कृत्य करवा आवश्यक्ता बतावा होय त्यारे ते साचं जाणवू. (५) आपत्ति योग आवे एवं कोइज प्रमाण नथी. साधारण समजथी पण ए उलटी वात छे. हालमां केटलांक वर्षो थयां पशुनो वध थाय छे. छतां दुष्काल वगेरे आपत्ति योग पडे छे. भविष्य कालमां कदि न करे नारायणने आपत्तियोग आववो निर्माण हशे तो ते पाडानो वध जारी राखे कदि मटनार नथी अने तेमज होय तो शान्तिक पौष्टिक क्रियाओ करवी व्यर्थ छे. (६) बलवान् शास्त्रनी आज्ञाज नथी त्यारे बलवान् शास्त्रनी आज्ञानो भंग शी रीते थयो गणाय. " मूलं नास्ति कुतः शाखा " तेवी हिंसा रहित क्रियाओ शांति कमलाकर ग्रन्थमां जोई लेवी. (७) ए प्रश्न निरर्थक छे. छठ्ठा प्रश्नमा ए प्रश्न उडी जाय छे. माटे तेना उत्तरमां कहेली क्रिया कहेला ग्रंथमाथी प्रतिपादन करी अनुसरवू. उपरना जवाब छेक ढूंकामां लख्या छे. केम के आपेली मुदत घणी थोडी होवाथी अने लखेला ग्रंथो पासे विद्यमान न होवाथी लाचारीथी तेनां फक्त नामज आपवां पड्यां छे. एटले चोकस छे के Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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