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________________ नं. १२ श्रीमान् धर्मतत्पर आर्यभिमानी रा. रा. प्राणजीवन जगजीवन मेहेता. ___ चीफ मेडिकल आफीसर. स्वस्थान धरमपूर. भावनगरथी लि. शास्त्री भानुशंकर हरिशंकरना यथायोग्य आशीर्वाद स्वीकारशो. विशेष लखवानुं के अखंड प्रौढप्रतापी आर्यधर्मोत्तेजक अने परमब्रह्मण्य महाराज श्रीमोहनदेवजीनी पवित्र आज्ञाने अनुसारे आफ्ना तरफथी एक प्रश्नपत्रिका मने मली छे, ते मारा वांचवामां आवतां अहिंसाप्रवर्तक वृत्ति जोइ मने घणो हर्ष प्राप्त थयो छे. आजकाल केटलाक सकामी पुरुषोना उत्कृष्ट उपदेशथी प्रवृत्ति मार्गनो प्रचंड वेग घणा राज्यस्थानोमां अंधपरंपराथी प्रवर्तलो छे अने ते रूढीना प्रबल पणाथी एवो सज्जड थई गयो छे के, एकदम ते निर्मूल करवो अशक्य छ तथापि महाराजाना सुविचारथी आवी हिंसा रूढी विनाश थाशे. ए जोइ हुं संतोष पामु छु अने मारी स्वदेश भूमि उपर आवा दयालु महाराजा निरन्तर राज्य करे एवी इच्छा राखं छु. विशेष आपने जणाववानुं के आपना तरफथी जे सात प्रश्नना खुलाशा मागेला छे, तेओनो क्रमवार खुलाशो मने आपणा आर्य ग्रन्थोमा जे जे मारा वाचवामां आव्युं ते प्रमाणे बताववाने में नीचे प्रमाणे लखेलो छे; ते आप ध्यानमा लेशो. जो के आ विषय एटलो गम्भीर अने चर्चवा युक्त छे के जो तेनुं बराबर प्रमाण साथे विवेचन कयु होय तो एक ग्रंथ थाय; अथवा जो मारो ने तमारो प्रत्यक्ष समागम होय तो घणुं सारी रीते स्पष्टीकरण थई शके, तथापि फक्त हार्दने अनुसारे संक्षिप्त करी तेना नीचे प्रमाणे प्रमाणो आपवामां आव्यां छे ते आपने विदित थशे. १ प्रश्रनो उत्तर. पहेला प्रश्नना उत्तरमा लखवारों के महिषादि पशुवध करवानो विधि तांत्रमत प्रमाणे देवी भागवत, कालिकापुराण, कात्यायन तंत्र विगेरेमां कहेलो छे खरो, पण ते फक्त तांत्र पक्षी प्रमाण छे. २ प्रश्ननो उत्तर. बीजा प्रश्नना उत्तरमा लखवानुं के जे ग्रंथमां पशुवध कहेल छे ते ग्रंथो आर्यलोकोमा जे सकामी छे तेने मान्य छे तेथी तांत्रिक पक्षमांन बहु मान्य गणाय पण जेओ निष्कामी अने शुद्ध मार्गानुसारी छे तेओने ए ग्रंथो बिलकुल मान्य गणाता नथी. ३ प्रश्ननो उत्तर. त्रीजा प्रश्नना उत्तरमां ते ग्रंथो करतां घणा बलवत्तर प्रमाणवाला अने हिंसाने निषेध करनारा घणा आर्यग्रंथो केशरीसिंहनी माफक गर्जना करे छे. जेनी पासे सकामीना ग्रंथो जंवूकनी पेठे दूर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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