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________________ तेने लगती कोइ क्रिया करीए तो पण अपराधी ठरीए छीए ए दृष्टांत प्रमाणे पशु हिंसानु चिंतन करी तेना नाक, कानपर छेको मारवो ए निरर्थक पाप वोरी लेवा जेवं छे. प्रथम पीठिकामां आपनुं लखq छे के शा कारणथी ते राजाओने अवश्य कर्म थइ पडयुं छे ? आना जवाबमां लखवानुं के बीजा सामान्य लोकोमा कोइ कोइ कारणथी रूढिमां फेरफार थवानो संभव छे. पण राज्य वर्गमां ने रूढि पडी ते बदलाती नथी, कारण के दरेक रूढिनो राजाना दफतरमा नोंध थाय छे, जेथी ते विषेनो काइ पण पूर्वापर विचार न करतां दफतरमा लखाएली कलमोने शास्त्रवचन तुल्य गणी ते प्रमाणे हमेशां करवामां आवे छे. बीजुं आपने कइ कोमना कया शास्त्रोमा पूरावा जोइए छीए ए कांइ विशेष लखेलं नथी. जो जैन शास्त्रना पूरावा जोइता होय तो आ अहिंसानो विषय ढगलाबन्ध ग्रन्थोमां प्रतिपादन करेलो छे. तेमन मुसलमान पारसीओ अने इंग्रेज लोकोना शास्त्रोनो अभिप्राय पण अहिंसा उपर छे–कदाचित् कोइ खूणे खोचरेथी हिंसा करवानुं लुलु पांगळु प्रमाण नीकले तो ते निरर्थक अने धर्मनी हानी करनारुं छे. कारण के हिंसा करवामां कोईयुक्ति आपणने टेको आपती नथी. आपणा स्मृतिकार बृहस्पति लखे छे के केवलं शास्त्रमाश्रित्य न कर्तव्योहि निर्णयः युक्तिहीने विचारेतु धर्महानिः प्रजायते ॥ आम छे छतां मुगां पशुओना प्राण लइ तेनो बलिभोग करी पेटने कबरस्तान बनावी पूरुं पापी करवू ए सहृदयने अनुचित छे. किंच, आ रूढिनो प्रवेश पूर्वकालमां आपणा देशमां कृषिविद्या ज्यारे घणी अनघड स्थितिमां हती त्यारे थएलो होवो जोइए. कारण के ते वखते अनाज पूरुं पाकतुं नहिं. अने गुजारो तो करवो जोइए जेथी हिंसानो प्रचार वधी पडयो हतो. पाछळथी जेम जेम खेतीवाडीनी विद्यानो शोध वधतो गयो तेम तेम हिंसा ओछी थवा लागी. अने केटलीएक नियमित थई गई-आ कालमांजैनीओनी प्रबळता पण वधती जती हती तेथी हिंसानू काम घणुंज घटी गयु. अने कोई वार तहेवारने दिवसे हिंसा थाय एवो जंगली रिवाज चालु रह्यो, जे आज थोडा प्रमाणमा छे छतां आपणना मनने कंपावे छे. रूढी देवी, प्राबल्य बधा जमानामां होवाने लीधे, आज सुधरेला जमानामां पण आ रिवाज पोतार्नु भयंकर रूप देखाडे छे. ___ आ सृष्टिनो बीजो पण एक अचल नियम जोवामां आवे छे के सबलो नबलाने दबावे, दुःख दे अने पोताना ताबामा राखे. महामुनि वेदव्यासे पण श्रीभागवतमां लखेलु छे के अहस्तानि सहस्ताना मपदानि चतुष्पदाम् । फल्गूनि तत्र महतां जीवोजीवस्य जीवनम् ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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