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________________ ४ प्रश्ननो उचर-राजाभोने पशुहिंसान अवश्य कर्तव्य कदापि काळे छेज नहीं. अने ते पशुहिंसाज न करवामां आवे तो बलवान् शास्त्रनी आज्ञा पाळी गणाय पण तोडी न गणाय एवां प्रमाण हजारो छे. वेद एटले (मंत्रब्राह्मणयोर्वेदः) ऋग्वेदसंहिता, यजुर्वेदसंहिता, सामवेदसंहिता, अथर्ववेदसंहिता तथा शतपथब्राह्मण विगरे ब्राह्मण ए सर्व वेद कहेवाय छे, तेमां पण कोई जगाए राजाओने तथा अन्य मनुष्योने हिंसा करवानें कहयुं नथी उलटो हिंसानो निषेध अतिशे स्पष्ट पणे छे. तेमां ऋग्वेदना ऐतरेय ब्राह्मणमा बीजि पंचिकाना प्रथम अध्यायमां तथा बीजा अध्यायमा तथा यजुर्वेदना शतपथना ब्राह्मणना नवमां खंडमां याग केतां देव देवीना पूजनमां अहिंसानुंज प्रतिपादन करेलुं छे. वेदमां जे जगाए पशुशब्द आवे छे ते जगाए पिष्टपशु एटले डांगेरना चोखानो लोट तेनो करवानो कह्यो छे. तथा अजवडे यज्ञ करवो एटले पूजन करवू ते जगाए अज केतां त्रण वर्षनी जुनी डांगर जेने खेतरमा वाये तो उगे नहीं तेवी डांगरवडे होमादिक करवू एम अर्थ कह्यो छे. ते उपर प्रमाण-- महाभारतना दानधर्मने विषे श्रूयते हि पुराकल्पे नृणां व्रीहिमयः पशुः ॥ येनायजंत यज्वानः पुण्यलोकपरायणाः ॥१॥ अजस्त्रैवार्षिको व्रीहिरिति धनंजयः ॥ वली श्रुति केतां वेद तेना अर्थने स्मृति अनुसरे छे एटले वेदनो अर्थ अतीशे गूढ छ माटे तेना अर्थने स्मृतियो प्रकाश करे छे. ( श्रुतेरिवार्थ स्मृतिरन्वगच्छादीत कालिदासः) ते स्मृतियोनो पण एज सिद्धांत छे के (नहिंस्यात्सर्वभूतानि ) कोई जीव प्राणीमात्रनी हिंसा न करवी. वळी वेदना साररूप उपनिषद् छे तेमां पण प्राणिमात्रपर दया राखवी पण तेने कष्ट थाय तेम आचरण न करवू. एवी रीते कयुं छे पण तेनी हिंसा करवा कोई उपनिषदमां कडं नथी. बळी छ शास्त्र छे तेमां पण हिंसा करवानुं कर्तुं नथी. ते छ शास्त्रनां माम द्वे न्याये द्वे च मीमांसे सांख्ययोगौ तथैव च Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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